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राज्य सरकार का आंकड़ा युवाओं के प्रति उपहास – भाजपा
भुवनेश्वर। राज्य सरकार गत 23 सालों से प्रदेश की युवा पीढ़ी के साथ निरंतक फरेब करती आ रही है। अपनी छवि को बचाने के लिए विभिन्न समय पर अविश्वसनीय संस्थाओं द्वारा प्रायोजित रिपोर्टों को दिखा कर राज्य की जनता को भ्रमित कर रही है। राज्य सरकार के लिए इस तरह का कार्य एक तरह से अभ्य़ास बन चुकी है। राज्य सरकार के इस तरह के झुठे आंकड़े वास्तव में आंकड़े नहीं, बल्कि युवाओं के प्रति मजाक हैं। भाजपा के प्रवक्ता सत्यव्रत पंडा ने ये बातें कहीं।
पार्टी कार्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में पंडा ने कहा कि हाल ही में संपन्न स्टार्ट अप मेले में संबोधित करते हुए राज्य के उद्योग मंत्री प्रताप देव अनेक झुठे आंकडे दिया है। उन्होंने दावा किया है कि अखिल भारतीय स्तर पर निवेश प्रस्तावों में से 20 प्रतिशत का क्रियान्वयन होता है, जबकि ओडिशा में इसकी दर 32 प्रतिशत है।
उन्होंने कहा कि विधानसभा में दिये गये उत्तर में राज्य सरकार ने स्वीकार किया है कि 2016 व 2018 में मेक इन ओडिशा के दो कानक्लेव में ओडिशा के लिए कुल 6 लाख 26 हजार करोड़ रुपये की पूंजी निवेश का प्रस्ताव आया था, लेकिन अभी तक केवल 5674 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्ताव का क्रियान्वयन हुआ है। यह कुल निवेश प्रस्ताव का मात्र 1 प्रतिशत है। इसी तरह मेक इन ओडिशा के दो संस्करणों में रोजगार की बात करें, तो कुल 7 लाख 28 हजार 681 रोजगार सृजन होने का आश्वासन मिला था, लेकिन मात्र 5878 लोगों को रोजगार मिला है। कुल आश्वासन का य़ह 0.79 प्रतिशत है। प्रस्तावित परियोजनाओं की संख्या 286 थी लेकिन केवल 16 परियोजनाओं क्रियान्वयन हुआ है। इसकी दर 5.6 प्रतिशत है। उन्होंने सवाल किया क्या इसे सफल पूंजी निवेश कहा जाएगा।
उन्होंने कहा कि साल 2019 से 22 तक महाराष्ट्र को 4700 करोड़ रुपये, कर्नाटक में 3900 करोड़ रुपये, गुजरात को 3 हजार करोड़ रुपये, दिल्ली को 2200 करोड़ रुपये, झारखंड को 260 करोड़ रुपये, दादर नागर हावेली जैसी छोटे प्रदेश को 15 करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष पूंजीनिवेश मिला है, लेकिन ओडिशा को केवल 14.8 करोड़ रुपये का एफडीआई प्राप्त हुआ है। मेक इन ओडिशा कनक्लेव को सफल बनाने के लिए राज्य सरकार के मंत्री व अधिकारी विदेशों का दौरा कर मौज किया। गरीब ओडिशा के करदाताओं के पैसे को किस तरह से खराब किया इसका अनुमान लगाया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि देश में स्टार्ट अप के क्षेत्र में ओडिशा अग्रणी होने का दावा राज्य के उद्योग मंत्री कर रहे हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि कुल 88 हजार स्टार्ट अप में से ओडिशा में कुल 1434 स्टार्ट अप की पहचान की गई है। इसके बावजूद ओडिशा सरकार अपने आप को सर्वश्रेष्ठ बताना हास्यास्पद है।