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सिर्फ नये दोपहिया वाहनों के पंजीकरण से एक जिले में एक साल में करीब तीन करोड़ रुपये की हो रही काली उगाही
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ऑटो मोबाइल से जुड़े अन्य वाहनों श्रेणी को जोड़े तो काली कमाई का आंकड़ा करोड़ों नहीं अरबों रुपये में
अमित मोदी, अनुगूल
राज्य परिवहन विभाग में नवीन सरकार की 5-टी योजना को करारा झटका लगता नजर आ रहा है. आरटीओ कार्यलय में प्रत्यक्ष रूप से दलाली पर नकेल कसे जाने के बावजूद इसकी जड़े पेशेवर रूप में जकड़ी हुई हैं और सिर्फ नये दो पहिया वाहनों के पंजीकरण से एक जिले में एक साल में कम से कम साढ़े तीन करोड़ रुपये काली कमाई हो रही है. यह पेशेवर दलाली की जड़ें आटो मोबाइल डीलर्स से जुड़ी हुईं हैं. जी हां, इस बात का खुलासा राज्य के अनुगूल जिले में हुआ है.
लोगों को बिना झंझट तथा भ्रष्टाचार मुक्त सरकारी सेवा मुहैया करवाने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने ‘मो सरकार’ कार्यक्रम प्रचलित किया है. इस लक्ष्य को हासिल करने हेतु राज्य सरकार ने सबसे पहले परिवहन कार्यालय और अस्पतालों को दलालमुक्त करने के लिए ‘मो सरकार’ कार्यक्रम को लागू किया. इस कार्यक्रम के लागू होते ही अनुगुल जिला पुलिस द्वारा स्थानीय क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय में दलाली करने के आरोप में 27 सितंबर 2019 को तीन और 24 फरवरी 2020 को सात दलालों को गिरफ्तार कर कोर्ट भेजा गया. इनकी गिरफ्तारी से माना जा रहा था कि आरटीओ कार्यालय में दलाली पूरी तरह बंद हो गयी है. आरटीओ कार्यालय दलाल मुक्त हो गया है. इसके बावजूद पुलिस भी नियमित रूप से नजर रख रही है, लेकिन पेशेवर दलाली पर किसी की नजर नहीं पड़ी. यह दलाली राज्यभर में करोड़ों-अरबों रुपये में फल-फूल रही है. एक सुनियोजित और संगठित तरीके से यह दलाली जारी है. लोगों के आँखों में धूल झोंकते हुए आम लोगो की कड़ी मेहनत की कमाई को किस तरीके से हड़पी जा रही है, इसकी सच्चाई सामने आई है, जो आपकी नींद को उड़ा देगा. इससे साल में करोड़ों की काली कमाई का खुलासा हुआ है.
ऐसे सक्रिय है पेशेवर दलाली
यह दलाली आटो मोबाइल सेक्टर से जुड़ी हुई है. इसकी तह तक पहुंचने के लिए अनुगुल के कई ऑटो मोबाइल डीलरों से हमने कोटेशन लाया है. इन कोटेशनों में आरटीओ के नाम पर राशि लिखी गयी है. जब हमने इस राशि की सत्यता के बारे में पड़ताल की तो तथ्य चौंकाने वाले सामने आए. कोटेशन में जितनी रकम का उल्लेख किया गया है, दरअसल वह वास्तविक खर्च से 2000 से 2500 रुपये अधिक है. आरटीओ कार्यालय से मिली सूचना के अनुसार, दो पहिये गाड़ी के पंजीकरण में रोड टैक्स गाड़ी की कीमत का 6 फीसदी, पंजीकरण फीस 300 रुपये, स्मार्ट कार्ड 230 रुपये, पेपर डॉक्यूमेंट के लिए 17 रुपये और पोस्टल चार्जेज अधिकतम 41 रुपये है. इस हिसाब से गाड़ी के टैक्स के बाद अधिकतम रूप से एक दोपहिया गाड़ी में कुल 588 रुपये का सरकारी खर्च है. एक रुपये से लेकर पांच लाख रुपये तक की दोपहिया गाड़ी पर यह सरकारी खर्च है. पांच लाख से ऊपर कीमत वाली गाड़ियों पर सिर्फ रोड टैक्स की राशि बढ़ती है, जबकि बाकी सारे खर्चे एक ही हैं.
इस तरह से होती है करोड़ों रुपये की काली कमाई
अनुगुल आरटीओ कार्यालय से मिली सूचना अनुसार, इस कार्यालय में सिर्फ एक महीने में 1200 से 1500 दोपहिया गाड़ियों का पंजीकरण होता है. एक गाड़ी पर आरटीओ खर्च के नाम पर सिर्फ 2000 रुपये अधिक लेने की बात को लेकर यदि हम चलें तो 1500 गाड़ियों के पंजीकरण पर एक माह में 30 लाख रुपये अतिरिक्त वसूली ग्राहकों से होती है. यानी एक साल में करीब 3.6 करोड़ रुपये की काली कमाई आरटीओ विभाग के नाम पर हो रही है.
तो अन्य गाड़ियों के पंजीकरण से अतिरिक्त कमाई कितनी हुई?
सिर्फ दो पहिया वाहनों के साल में पंजीकरण से लगभग 3.6 करोड़ की काली कमाई हो रही है, तो वाहनों की अन्य श्रेणी से और कितनी कमाई होती होगी, जरा आप सोचिए. दो पहिया वाहनों के आलावा राज्य में
तीन पहिया, चार पहिया, छह पहिया, 10 पहिया, 12 पहिया, आदि-आदि चक्केवाले वाहनों की बिक्री भी होती है. सालभर में अच्छी खासी संख्या में इन वाहनों की बिक्री होती है. आप जरा सोचिए, इन वाहनों की बिक्री के दौरान वसूले जाने वाली अतिरिक्त राशि से कितने करोड़ों की कमाई सिर्फ एक जिले में आरटीओ विभाग में कार्यरत कर्मचारियों की होती है.
नये वाहनों के पंजीकरण पर ली जाती है रिश्वत – डीलर्स
इस संदर्भ में जब डीलर्स से बात की गई तो उन्होंने नाम गुप्त रखने की शर्त पर कहा कि आरटीओ विभाग में यह राशि मांगी जाती है, जिससे हम ग्राहकों से वसूलते हैं. यदि हम यह राशि नहीं देंगे तो वे परेशान करेंगे, जिसका असर पर व्यवसाय पर पड़ेगा. यह हम लोगों की मजबूरी है. यह खर्चा देशभर में वसूला जाता है.
संज्ञान में आने पर शिकायत करेंगे – आरटीओ
इस संदर्भ में हमने जब अनुगूल आरटीओ जीतेंद्र कुमार भोई से उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्होंने कहा कि संज्ञान में आने पर इसकी शिकायत वह पुलिस में करेंगे.