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कहा-राज्य सरकार और संगठनों से अनुरोध मिले
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केंद्र सरकार के अनुरोध का ओडिशा सरकार ने नहीं दिया जवाब
भुवनेश्वर। ओडिशा सरकार ने अभी तक उच्च न्यायालय के परामर्श से ओडिशा हाईकोर्ट की पीठों की स्थापना के लिए एक विस्तृत प्रस्ताव प्रस्तुत नहीं किया है। यह जानकारी
केंद्रीय कानून और न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने शुक्रवार को लोकसभा में दी। वह
कोरापुट के सांसद (कांग्रेस) सप्तगिरि शंकर उलाका के एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी है।
रिजिजू ने कहा कि ओडिशा की राज्य सरकार के साथ-साथ विभिन्न संगठनों से समय-समय पर अन्य स्थानों पर उच्च न्यायालय की पीठों की स्थापना के लिए अनुरोध प्राप्त हुए हैं।
उन्होंने कहा कि ओडिशा सरकार ने राज्य के पश्चिमी और दक्षिणी क्षेत्र में उच्च न्यायालय की पीठ स्थापित करने का अनुरोध किया है।
कानून मंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने ओडिशा सरकार से अनुरोध किया है कि वह राज्य के उच्च न्यायालय के परामर्श से प्रस्तावित पीठों के विवरण सहित उसके स्थान पर काम करे। हालांकि, अभी तक कोई जवाब नहीं मिला है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि वर्तमान में उच्च न्यायालय की पीठ की स्थापना के संबंध में ओडिशा सरकार का कोई पूरा प्रस्ताव केंद्र के पास लंबित नहीं है।
उच्च न्यायालय की पीठों की स्थापना के मानदंडों के बारे में सूचित करते हुए रिजिजू ने कहा कि पीठों की स्थापना जसवंत सिंह आयोग द्वारा की गई सिफारिशों और सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 2000 की डब्ल्यूपी (सी) संख्या 379 में सुनाए गए फैसले के अनुसार की गई है।
उन्होंने बताया कि जिस राज्य सरकार को आवश्यक व्यय और ढांचागत सुविधाएं प्रदान करनी हैं, उसे संबंधित उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से एक पूर्ण प्रस्ताव प्रस्तुत करने की आवश्यकता होती है, जो उच्च न्यायालय के दिन-प्रतिदिन के प्रशासन की देखभाल करने के लिए आवश्यक होता है। इसके अलावा, पूरे प्रस्ताव में संबंधित राज्य के राज्यपाल की सहमति भी होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विशेष रूप से पश्चिमी ओडिशा में संबलपुर और दक्षिण ओडिशा में ब्रह्मपुर सहित राज्य के विभिन्न हिस्सों के वकील अपने क्षेत्र में पीठ की स्थापना की मांग कर रहे हैं।