-
अंग प्रत्यारोपण के इंतजार में हर दिन 17 लोगों की होती है मौत
-
एम्स भुवनेश्वर में अंग दान पर जागरूकता पर सीएमई और कार्यशाला
भुवनेश्वर। अंग प्रत्यारोपण के इंतजार में हर दिन 17 लोगों की मौत हो जाती है। हर 10 मिनट में प्रत्यारोपण प्रतीक्षा सूची में एक और व्यक्ति जुड़ जाता है। एम्स भुवनेश्वर के सर्जिकल गैस्ट्रोएंटरोलॉजी विभाग द्वारा आयोजित निरंतर चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) और “अंग दान पर जागरूकता” पर कार्यशाला में उपस्थित राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विशेषज्ञों ने कहा कि एक अंग दाता 8 लोगों की जान बचा सकता है। अंगदान दाता कार्यक्रम समय की जरूरत है। वक्ताओं ने जनता के बीच जागरूकता बढ़ाने के अलावा अंग प्रत्यारोपण के विभिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित वक्ताओं ने अन्य पहलुओं पर प्रकाश डाला, जैसे कि उपयुक्त दाता और प्राप्तकर्ता का चयन, अंग आवंटन, परामर्श की आवश्यकता और व्यापक गुणवत्ता नैदानिक देखभाल केवल अंग प्रत्यारोपण की प्रक्रिया को और तेज कर सकती है। एम्स भुवनेश्वर के अध्यक्ष प्रोफेसर सुब्रत आचार्य ने कहा कि आईसीयू सेटअप में ब्रेनस्टेम डेथ की घोषणा करने में न्यूरो फिजिशियन और क्रिटिकल केयर प्रदाता महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (एनओटीटीओ) के सहयोग से एम्स में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में प्रोफेसर वाईके चावला, अध्यक्ष एसएससी एम्स भुवनेश्वर और पूर्व निदेशक, पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़, पुलिस आयुक्त सौमेंद्र कुमार प्रियदर्शी, डॉ. कृष्ण कुमार, निदेशक, नोट्टो जीओआई, प्रो विपिन कौशल, नोडल अधिकारी रोट्टो, पीजीआईएमईआर, चंडीगढ़, प्रो. विनयेंद्र पामेचा, प्रमुख, लिवर प्रत्यारोपण, आईएलबीएस, नई दिल्ली, डॉ दिनेश कुमार नेगी, कानूनी विशेषज्ञ, हिंदूराव अस्पताल, दिल्ली, प्रो दीपक कुमार गुप्ता, जेपीएनए ट्रॉमा सेंटर, एम्स नई दिल्ली, डॉ आशीष कुमार साहू, डॉ सुनील श्रॉफ, श्रीमती पल्लवी कुमारी, डॉ अर्चना कुमारी की उपस्थिति रही।
एम्स भुवनेश्वर के कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर आशुतोष बिस्वास ने राष्ट्रीय संस्थान में विभिन्न प्रत्यारोपण सेवाओं की स्थापना के लिए हर संभव सहायता देने का आश्वासन दिया। कार्यशाला में चिकित्सा अधीक्षक प्रो. एस एन मोहंती, डीन डॉ. पीआर महापात्र, डीडीए रश्मि रंजन सेठी ने भी भाग लिया।
सीएमई में इंटेंसिविस्ट, एनेस्थेसियोलॉजिस्ट, न्यूरोसर्जन, न्यूरोलॉजिस्ट, ट्रॉमा और आपातकालीन चिकित्सक, सर्जन, फोरेंसिक मेडिसिन, कम्युनिटी मेडिसिन आदि शामिल थे।
सार्वजनिक क्षेत्र में लिवर प्रत्यारोपण सर्जरी में अग्रणी प्रो. विनियेंद्र पामेचा के साथ प्रो. दीपेश केंवर, प्रो. विपिन कौशल को इस क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट कार्य के लिए सम्मानित किया गया। इसी तरह लिवर ट्रांसप्लांट प्राप्तकर्ता उमा आचार्य ने अपना अनुभव साझा करते हुए अंग प्रत्यारोपण की अपील की। उनकी जीवन बदलने वाली कहानी दिल को छू लेने वाली थी और सभी को अंग प्रत्यारोपण की प्रतिज्ञा करने के लिए प्रेरित करने वाली थी।