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राष्ट्रपति ने मातृभाषा में शिक्षा पर दिया जोर

  •  कहा- मातृभाषा में शिक्षा से बच्चों की बढ़ती है सामर्थ्य

  •  शिक्षा मंत्रालय द्वारा विभिन्न उपक्रमों का शुभारंभ किया

  •  ई-कुंभ पोर्टल और ओड़िया भाषा में यांत्रिक शब्दकोष का विमोचन किया

भुवनेश्वर। बच्चों को मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने से बच्चों के सामर्थ्य में वृद्धि होती है। मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति में महत्व दिया गया है। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू ने स्थानीय जयदेव भवन में शिक्षा मंत्रालय द्वारा विभिन्न उपक्रमों का शुभारंभ करते हुए ये बातें कहीं।
इस अवसर पर राष्ट्पति ने ओड़िया भाषा में इंजीनियरिंग पाठ्य़पुस्तकों का विमोचन किया। दोनों डिग्री व डिप्लोमा पाठ्य़क्रम में इन पुस्तकों का इस्तेमाल होगा। इसी तरह उन्होंने ई-कुंभ पोर्टल का भी विमोचन किया। ओड़िया भाषा में यांत्रिक शब्दकोष का भी राष्ट्रपति ने विमोचन किया।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि मातृभाषा में सभी का आकर्षण रहता है। इसलिए बच्चों को मातृभाषा में शिक्षा प्रदान करने से उनका विकास सही रुप से होने के साथ साथ उनके सामर्थ में बढ़ोत्तरी होगी। मातृभाषा में शिक्षा लेने वाले बच्चों का बौद्धिक विकास अधिक होता है। शिक्षा में बच्चों के लिए जो अवरोध हैं, उसे दूर करने के लिए हमें यथा साध्य प्रयास करना होगा। शिक्षा जैसी मौलिक अधिकार से एक भी बच्चा वंचित न हो यह सुनिश्चित करना होगा।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने मातृभाषा में बच्चों को पढ़ाने के लिए योजना तैयार करने को लेकर केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान व उनकी टीम को धन्यवाद दिया।
इस विशेष कार्यक्रम में केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, राज्यपाल प्रो गणेशीलाल व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने भी संबोधित किया।
राज्यपाल प्रो गणेशीलाल ने अपना भाषण ओड़िया भाषा में दिया और कहा कि बच्चों को भारतीय भाषा में शिक्षा प्रदान करने की व्यवस्था करना एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि बच्चों को मातृभाषा में पढ़ाने की व्यवस्था करने से गांवों व शहरों की तथा विशेषाधिकार वाले व गैर विशेषाधिकार वाले लोगों के बीच खाई कम होगी। इससे पिछडे हुए बच्चों को आगे आने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा कि मातृभूमि व मातृभाषा सर्वोपरि है। मातृभाषा में हीनमन्यता का भाव किसी को नहीं आना चाहिए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान को इस कार्य के लिए धन्यवाद दिया।
उल्लेखनीय है कि गत वर्ष 18 अक्टूबर को भुवनेश्वर में ओड़िया भाषा में इंजीनियरिंग की शिक्षा के लिए ओड़िया भाषा में पुस्तकें तैयार करने हेतु एआईसीटीई व ओड़िया अध्ययन व शोध केन्द्र के बीच एमओयू हुआ था।

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