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वैश्विक ग्राम की संकल्पना पूरा करने विदेशों में भी हिंदी बना रही अपना स्थान

  •  तीन दिवसीय राजभाषा सम्मेलन का उद्घाटन

पुरी। भारतीय भाषा एवं संस्कृति केन्द्र, दिल्ली द्वारा आयोजित तीन दिवसीय राजभाषा सम्मेलन का उद्घाटन वयोवृद्ध राजनैतिक एवं भाषाविद् डॉ प्रसन्न कुमार पाटसाणी ने किया। प्रसिद्ध शिक्षाविद् एवं नेशनल बुक ट्रस्ट के पूर्व संपादक प्रो मानस रंजन महापात्र ने समारोह की अध्यक्षता की। इसमें भारत-भर के विभिन्न राज्यों के कार्यालयों, उपक्रमों, बैंकों आदि के कार्यालय प्रमुखों एवं राजभाषा अधिकारियों ने भाग लिया।
सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए डॉ पाटसाणी ने कहा कि हिन्दी भारत की सभी भाषाओं को एक सूत्र में पिरोने के लिए एक संपर्क सूत्र की भूमिका स्वाधीनता आंदोलन के समय से ही निभाती आई है और आज वैश्विक ग्राम की संकल्पना को पूरा करने के लिए हिंदी विदेशों में भी अपना स्थान बना रही है।
हिंदी में कार्य करना हमारा नैतिक कर्त्तव्य ही नहीं, कानूनी दायित्व भी है। इस अवसर पर एनटीपीसी के अपर महाप्रबंधक दिग्विजय सिंह, नेशनल फर्टिलाइजर्स लिमिटेड के महाप्रबंधक दिलबाग सिंह एवं अन्य महानुभावों से हिंदी की महत्ता पर प्रकाश डाला।
इस अवसर पर हिंदी की प्रगति में अग्रणी भूमिका निभानेवाले कार्यालयों, उपक्रमों, निकायों एवं बैंकों को तथा उनके अधिकारियों को राजभाषा शील्ड प्रदान की गई।
इस सम्मेलन के आयोजन में सुप्रसिद्ध हिंदी कवि एवं समाजसेवी किशन खंडेलवाल, हिंदी तकनीकी विशेषज्ञ हरिराम पंसारी, भारत सरकार के पूर्व-निदेशक(राजभाषा), डॉ वेदप्रकाश गौड़ एवं नैनीताल के आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान एवं शोध संस्थान की श्रीमती हंसा कार्की ने उल्लेखनीय योगदान दिया।
सभी ने भारतीय भाषा एवं संस्कृति केन्द्र के सचिव महिपाल सिंह को इस भव्य आयोजन के लिए हार्दिक धन्यवाद ज्ञापन किया। कार्यक्रम का संचालन लोकसभा सचिवालय के सम्पादक रणविजय राव ने किया।

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