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विश्वभर से चुने गये तीन शहरों में शामिल हुई जटनी नगरपालिका
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शहरों में रहने वाले युवाओं के स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार के लिए तीन साल की परियोजना पर होगा प्रारंभिक कार्य
भुवनेश्वर। ओडिशा खुर्दा जिला स्थित जटनी ‘यंग गेमचेंजर्स इनिशिएटिव’ के पायलट कार्यान्वयन के लिए वैश्विक प्रतियोगिता में चुना गया है। भारत से यह एकलौता जगह है, जबकि पूरी दुनिया में सिर्फ तीन शहरों को ही चुना गया है। यूएन-हैबिटेट ने ‘यंग गेमचेंजर्स इनिशिएटिव’ के पायलट कार्यान्वयन के लिए चुने गये तीन स्थानों में जटनी को भी जगह दिया है। इन तीन शहरों में अर्मेनिया (कोलंबिया), जटनी (भारत) और बरगनी (सेनेगल) शामिल है।
बताया गया है कि संयुक्त राष्ट्र विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) और ब्लॉक बाय ब्लॉक फाउंडेशन के साथ मिलकर दुनियाभर के बढ़ते शहरों में रहने वाले युवाओं के स्वास्थ्य और कल्याण में सुधार के लिए तीन साल की परियोजना का नेतृत्व कर रहा है।
इस पहल को फाउंडेशन बॉटनर द्वारा शहरी शासन में सक्रिय भागीदारी, समावेशी सार्वजनिक स्थान के डिजाइन और डिजिटल जुड़ाव के माध्यम से युवा लोगों के शहरी स्वास्थ्य में सुधार की दिशा में काम करने के लिए वित्त पोषित किया जा रहा है।
शासन ढांचे को होगा निर्माण, युवाओं का निखरेगा कौशल
इसके तहत जटनी नगरपालिका युवाओं के स्वास्थ्य और कल्याण को मजबूत करने के लिए शासन ढांचे का निर्माण करेगी। बताया जाता है कि यह पहल युवाओं को आवाज और एजेंसी के साथ सशक्त बनाएगी। इसके साथ ही शासन के साथ जुड़ने के लिए सही डिजिटल कौशल प्रदान करेगी और सार्वजनिक स्थानों को सुरक्षित, सुलभ और स्वास्थ्य और भलाई को बढ़ावा देने में स्थानीय अधिकारियों का समर्थन करेगी।
अगले तीन वर्षों तक होगा काम
अगले तीन वर्षों में जटनी नगरपालिका अन्य दो चयनित शहरों के साथ यूएन-हैबिटेट के साथ निकट समन्वय में काम करेगी, ताकि स्थानीय सरकारों और युवाओं को शासन और शहरी नियोजन प्रक्रियाओं में शामिल किया जा सके, जिससे उन्नत शहरी स्वास्थ्य और युवा लोगों की भलाई में सुधार हो सके।
चुनौतियों के समाधान के लिए मिलेगी सहायता
चयनित शहरों को स्वास्थ्य और कल्याण के पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार के लिए युवाओं के सामने आने वाले मुद्दों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए तकनीकी सलाह, प्रशिक्षण, आदि के संदर्भ में सहायता प्रदान की जाएगी। तीन शहरों में कार्यक्रम का कार्यान्वयन एक सीखने के केंद्र के रूप में कार्य करेगा और परियोजना के दौरान उत्पन्न ज्ञान को अन्य शहरों के लिए उपलब्ध कराया जाएगा और यूएन-हैबिटेट के चैनलों के माध्यम से विश्व स्तर पर साझा किया जाएगा।