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प्रशासन ने अनिश्चितकाल के लिए धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लगाया
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पुल की खराब हालात को देखते हुए लिया गया निर्णय
कटक। धवलेश्वर में मनाया जाने वाला बड़ा ओसा यात्रा इस आयोजित नहीं होगा। महानदी पर पुल की खास्ता हाल को देखते हुए प्रशासन ने इस साल आयोजन को रद्द करने का फैसला लिया है तथा अनिश्चितकाल के लिए धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लगा दिया गया है।
यह जानकारी आज यहां कटक के प्रभारी पुलिस अधीक्षक तथा खुर्दा के एसपी सिद्धार्थ कटारिया ने मंगलवार को दी। उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस साल की प्रसिद्ध धवलेश्वर यात्रा स्थगित कर दी गई है। जिला प्रशासन ने सुरक्षा कारणों से सीआरपीसी की धारा 144 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी है।
सूत्रों ने बताया कि मंदिर को जोड़ने वाले हैंगिंग ब्रिज की हालत खस्ता है और मरम्मत की जरूरत है। इसे देखते हुए इस संबंध में निर्णय लिया गया है।
प्रशासन ने मंदिर में श्रद्धालुओं के प्रवेश पर रोक लगाने के लिए खराब की पुल की मरम्मत के लिए 144 धाराएं लगा दी है।
मोरबी हादसे बाद पुल पर गया ध्यान
गुजरात के मोरबी में रविवार को पुल के गिरने के बाद यह कदम उठाया गया है, जिसमें 135 लोगों की मौत हो गई। एस कटारिया ने कहा कि सार्वजनिक सुरक्षा हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता है। पुल को असुरक्षित घोषित कर दिया गया है। इसलिए कुछ समय के लिए धारा-144 लागू रहेगी, ताकि जिला प्रशासन पुल की मरम्मत का कार्य कर सके।
केवल 200 भक्तों को ही पुल से जाने की थी अनुमति
मोरबी त्रासदी के बाद आठगढ़ में स्थानीय प्रशासन ने धवलेश्वर में जर्जर पुल की क्षमता कम कर दी थी। एक बार में केवल 200 भक्तों को ही पुल से जाने की अनुमति दी गई थी। इसके बाद जिला प्रशासन ने पूरी तरह से सुरक्षा निरीक्षण करने के लिए हैंगिंग ब्रिज को एक दिन मंगलवार को के लिए बंद करने का फैसला किया।
लोगों से सहयोग की अपील
कटक के प्रभारी पुलिस अधीक्षक तथा खुर्दा के एसपी सिद्धार्थ कटारिया ने लोगों से सहयोग की अपील की है। उन्होंने कहा कि आमजन की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है। इसलिए पुलिस और प्रशासन को जनता को सहयोग प्रदान करना चाहिए।
श्रद्धालुओं में छायी निराशा
धवलेश्वर पहुंचे कुछ श्रद्धालुओं ने प्रशासन के अचानक बंद के फैसले पर निराशा व्यक्त की। भक्तों का कहना है कि सदियों पुरानी धवलेश्वर यात्रा को रद्द करने की कोई आवश्यकता नहीं है। जब पुल नहीं होता था, तो लोग नाव से जाते थे। प्रशासन नाव सेवा फिर से शुरू कर सकता है, ताकि भक्तों को देवता के दर्शन हो सकें।