Home / Odisha / जयंती पर याद किये गये प्रसिद्ध वैज्ञानिक होमी भाभा

जयंती पर याद किये गये प्रसिद्ध वैज्ञानिक होमी भाभा

भुवनेश्वर। मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने प्रसिद्ध वैज्ञानित होमी भाभा को उनकी जयंती पर याद किया है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि प्रसिद्ध वैज्ञानिक होमी भाभा को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि  अर्पित करता हूं। भारत के परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए उनकी महत्वपूर्ण भूमिका थी। परमाणु विज्ञान के क्षेत्र में उनके योगदान के कारण आने वाली पीढ़ियों के लिए वह प्रेरणास्रोत बने रहेंगे।

होमी जहांगीर भाभा का जन्म 30 अक्टूबर, 1909 को तथा निधन 24 जनवरी, 1966 को हुआ था। वह भारत के एक प्रमुख वैज्ञानिक और स्वप्नदृष्टा थे जिन्होंने भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम की कल्पना की थी। उन्होंने मुट्ठी भर वैज्ञानिकों की सहायता से मार्च 1944 में नाभिकीय उर्जा पर अनुसन्धान आरम्भ किया। उन्होंने नाभिकीय विज्ञान में तब कार्य आरम्भ किया जब अविछिन्न शृंखला अभिक्रिया का ज्ञान नहीं के बराबर था और नाभिकीय उर्जा से विद्युत उत्पादन की कल्पना को कोई मानने को तैयार नहीं था। उन्हें ‘आर्किटेक्ट ऑफ इंडियन एटॉमिक एनर्जी प्रोग्राम’ भी कहा जाता है।

भाभा का जन्म मुम्बई के एक सभ्रांत पारसी परिवार में हुआ था। उनकी कीर्ति सारे संसार में फैली। भारत वापस आने पर उन्होंने अपने अनुसंधान को आगे बढ़ाया। भारत को परमाणु शक्ति बनाने के मिशन में प्रथम पग के तौर पर उन्होंने 1945 में मूलभूत विज्ञान में उत्कृष्टता के केंद्र टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआइएफआर) की स्थापना की। डा. भाभा एक कुशल वैज्ञानिक और प्रतिबद्ध इंजीनियर होने के साथ-साथ एक समर्पित वास्तुशिल्पी, सतर्क नियोजक, एवं निपुण कार्यकारी थे। वे ललित कला व संगीत के उत्कृष्ट प्रेमी तथा लोकोपकारी थे। 1947 में भारत सरकार द्वारा गठित परमाणु ऊर्जा आयोग के प्रथम अध्यक्ष नियुक्त हुए। 1953 में जेनेवा में अनुष्ठित विश्व परमाणुविक वैज्ञानिकों के महासम्मेलन में उन्होंने सभापतित्व किया। भारतीय परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम के जनक का 24 जनवरी सन 1966 को एक विमान दुर्घटना में निधन हो गया था।

उन्होंने मुंबई से कैथड्रल और जॉन केनन स्कूल से पढ़ाई की। फिर एल्फिस्टन कॉलेज मुंबई और रोयाल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से बीएससी पास किया। मुंबई से पढ़ाई पूरी करने के बाद भाभा वर्ष 1927 में इंग्लैंड के कैअस कॉलेज, कैंब्रिज इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने गए। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में रहकर सन् 1930 में स्नातक उपाधि अर्जित की। सन् 1934 में कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से उन्होंने डाक्टरेट की उपाधि प्राप्त की। जर्मनी में उन्होंने कास्मिक किरणों पर अध्ययन और प्रयोग किए। हालांकि इंजीनियरिंग पढ़ने का निर्णय उनका नहीं था। यह परिवार की ख्वाहिश थी कि वे एक होनहार इंजीनियर बनें। होमी ने सबकी बातों का ध्यान रखते हुए, इंजीनियरिंग की पढ़ाई जरूर की, लेकिन अपने प्रिय विषय फिजिक्स से भी खुद को जोड़े रखा। न्यूक्लियर फिजिक्स के प्रति उनका लगाव जुनूनी स्तर तक था। उन्होंने कैंब्रिज से ही पिता को पत्र लिख कर अपने इरादे बता दिए थे कि फिजिक्स ही उनका अंतिम लक्ष्य है।

 

Share this news

About desk

Check Also

IAT NEWS INDO ASIAN TIMES ओडिशा की खबर, भुवनेश्वर की खबर, कटक की खबर, आज की ताजा खबर, भारत की ताजा खबर, ब्रेकिंग न्यूज, इंडिया की ताजा खबर

तथागत ने की उपराष्ट्रपति चुनाव में बीजद के रूख की आलोचना

    कहा – बीजद का मतदान से दूर रहना राजनीतिक आत्महत्या भुवनेश्वर। पूर्व बीजद …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *