-
नहाय-खाय का दिन छठव्रतियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण
-
मन, वचन और कर्म से पवित्र होकर छठ पूजन के लिए अपने आपको करते हैं तैयार
भुवनेश्वर। उत्तर भारत में मनाये जानेवाले प्रकृति उपासना के चार दिवसीय छठ महापर्व को ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर में भी दशकों से पूरी आस्था तथा श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। छठ का पहला दिवस नहाय-खाय होता है। नहाय-खाय का दिन छठव्रतियों के लिए सबसे महत्वपूर्ण होता है। कहते हैं कि भारत में मनाये जानेवाले सभी पर्व-त्यौहारों में छठ सबसे पवित्रतम और कठोरता व्रत होता है छठ। इसका पहला दिवस नहाय-खाय साफ-सफाई तथा पवित्र भोजन सेवन का होता है। नहाय का मतलब केवल पवित्र स्नान से ही नहीं है, अपितु छठव्रतियों के अपने-अपने घर की साफ-सफाई से भी है। छठ पूजन के प्रसाद तैयार करने के लिए चौके की साफ-सफाई से भी है। इसलिए आज के दिन छठव्रती स्वयं की भी सफाई करते हैं। वे पवित्र स्नान करते हैं तथा छठ पूजन के लिए मन, वचन और कर्म से पवित्र होकर अपने आपको तैयार करते हैं। आज के दिन वे भोजन के रुप में अरवा चावल का भात, चने की दाल और लौकी की सब्जी का सेवन ही करते हैं। भुवनेश्वर में इस वर्ष भी छठव्रत करने वाली मोतीकांती देवी और रींकू देवी ने बताया कि वे अपने घर, छठ पूजा तैयार करने के चौके तथा चूल्हे आदि की अच्छी तरह से साफ-सफाई कर लीं हैं। नहाय-खाय के दिन भोजन तैयार करने के लिए अपने गांव से अरवा चावल, चने की दाल मंगवा चुकीं हैं। स्थानीय एक नंबर हाट से वे लौकी भी मंगवा चुकी हैं। साथ में नहाय-खाय के दिन खुले दिल से गरीबों तथा ब्राह्मणों को दान देने के लिए जाड़े के वस्त्र आदि भी खरीद लीं हैं, जिसका दानकर वे छठ परमेश्वरी से अपने लिए तथा अपने परिवार के सदस्यों के लिए हरप्रकार की खुशी का आशीष मांगेंगी।