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सभी के लिए समान जनसंख्या नीति पर जोर : आरएसएस

  •  मातृभाषा में शिक्षा और आत्मनिर्भर भारत पर दिया जा रहा ध्यान

  •  प्रयागराज में संपन्न कार्य़कारी मंडल की बैठक के बारे में दी जानकारी

भुवनेश्वर। हाल ही में प्रयागराज में संपन्न राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकारी मंडल की बैठक में सभी के लिए समान जनसंख्या नीति, मातृभाषा में शिक्षा तथा आत्म निर्भर भारत के विषय पर चर्चा किये जाने के साथ-साथ इस पर जोर दिया गया। संघ के ओडिशा (पूर्व) प्रांत के प्रांत संघचालक समीर मोहंती ने आज यहां एक पत्रकार सम्मेलन में बैठक में चर्चा में आये विषयों की जानकारी दी।
मोहंती ने बताया कि जनसंख्या नियंत्रण नीति लागू होने के बाद जनसंख्या वृद्धि का टीएफआर यानि दम्पति प्रजनन दर की औसत 3.4 से घटकर 1.9 हो गई है, लेकिन इस जनसंख्या नियंत्रण में कई असंतुलन हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि विभिन्न संप्रदाय के दम्पति की प्रजनन दर बहुत भिन्न होती है और अन्य कारक सीमा पार क्षेत्रों में घुसपैठ में वृद्धि और विभिन्न स्थानों पर अवैध धार्मिक मतातंरण हैं। जिसके कारण देश में जनसंख्या का उचित संतुलन नहीं है। इस त्रुटि के कारण, हमारा देश अतीत में विभाजित हो गया है और इंडोनेशिया, सूडान जैसे देशों को भी विभाजन का सामना करना पड़ा है। आज भारत युवाओं का देश है, लेकिन कुछ ही वर्षों में यह बूढ़ों का देश बन जाएगा। इस प्रकार की परिस्थिति को रोकने के लिए उपयुक्त जनसंख्या नीतियों को अपनाया जाना चाहिए। अखिल भारतीय कार्यकारी मंडल की बैठक में इन मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई।
उन्होंने कहा कि यह बैठक चार दिनों तक 16 से 19 अक्टूबर तक गौहनिया, प्रयागराज में हुई है। इस बैठक में डॉ मोहन भागवत, सरसंघचालक एवं दत्तात्रेय होसवाले सरकार्यबाह पूरे समय उपस्थित रहे। इसमें पूरे भारत के 379 सदस्यों में से 372 सदस्यों ने भाग लिया। ओडिशा के 14 में से 13 लोगों ने भाग लिया।
उन्होंने बताया कि इस बैठक में नई शिक्षा नीति के अनुसार, स्कूलों में मातृभाषा के माध्यम से पढ़ाने का प्रावधान करने का आह्वान किया गया है। युवा समुदाय से भी नौकरी के बजाय आत्मनिर्भर बनने का आग्रह किया गया है। इसका फायदा देश में भी देखने को मिला है, क्योंकि 2014 में हमारे देश में स्टार्ट-अप की संख्या 500 थी, लेकिन अब यह 60,000 से अधिक हो गई है।
बैठक में प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले एक वर्ष में दैनिक शाखाओं की संख्या में 6,000, साप्ताहिक शाखाओं की संख्या में 4,000 और मासिक शाखाओं की संख्या में 1800 की वृद्धि हुई है. वर्तमान में देशभर में 61,045 दैनिक शाखाएं, 22,077 साप्ताहिक शाखाएं और 9,071 मासिक शाखाएं कार्यरत हैं। ओडिशा में 1,390 दैनिक शाखाएं, 304 साप्ताहिक शाखाएं और 84 मासिक शाखाएं हैं। पिछले 4 वर्षों में, 6,00,000 युवाओं ने ज्वाइन आरएसएस के माध्यम से संघ में शामिल होने का अनुरोध किया है। इनमें 23 हजार महिलाएं हैं।

वर्ष 2025 तक संघ के शताब्दी वर्ष के अवसर पर देशभर से 4,000 शताब्दी विस्तारकों को निकलने का आह्वान किया गया है। आज तक, 3,000 शताब्दी विस्तारक के नाते निकले हैं। 37 शताब्दी विस्तारक ओडिशा से पहले ही निकल चुके हैं। कोरोना संकट के दौरान संघ ने ओडिशा सहित सभी राज्यों में सेवाओं के साथ-साथ बहुत कई कार्यक्रम विभिन्न संगठनों के माध्यम से आयोजन किया। संघ देश के सभी क्षेत्रों में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के प्रयास कर रहा है। मेघालय, त्रिपुरा और उत्तर-पूर्वी के सभी राज्यों में जनजाति समुदायों के लोग अपने स्वाभिमान के जागरण के कारण अपने स्वधर्म की रक्षा के लिए संघ में शामिल होना चाहते हैं।
इस संवाददाता सम्मेलन में संघ के क्षेत्रीय कार्यवाह डॉ गोपाल प्रसाद महापात्र व संघ के प्रांत सह प्रचार प्रमुख सुमंत कुमार पंडा भी मौजूद थे।

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