Home / Odisha / ढेंकानाल में हाथी और मानव का संघर्ष बना चुनौती

ढेंकानाल में हाथी और मानव का संघर्ष बना चुनौती

  •  पिछले सात वर्षों में 83 हाथियों और 147 लोगों की मौत

ढेंकानाल। ओडिशा के ढेंकनाल जिले में हाथियों और मानव के बीच हो रहीं संघर्ष की घटनाएं प्रशासन के लिए एक चुनौती बन गयी हैं। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, इस संघर्ष के कारण पिछले सात वर्षों में 83 हाथियों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा, इस अवधि के दौरान 147 लोगों की मौत की भी मौतें हुईं हैं। ये आंकड़े हाथियों की आवाजाही को नियंत्रित करने और मानव बस्तियों में उनके प्रवेश को कम करने के लिए वन विभाग द्वारा किये गये विभिन्न उपायों की प्रभावशीलता पर भी सवाल उठे हैं।
हाथियों के हमले में लोगों की मौत की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए विभाग ने दो साल पहले ऐरावत बस योजना तैयार की थी। इस नई योजना के तहत वन कर्मचारी और एक हाथी दस्ता ऐरावत नाम की बस में वन क्षेत्र में गश्त करेगा और हाथियों के झुंड की आवाजाही पर कड़ी निगरानी रखेगा। झुंड को मानव बस्तियों से भगाने के अलावा, टीम हाथियों को शिकारियों से भी बचायेगी। इसके अलावा, परियोजना आरई-एचएबी शुरू की गयी, जिसके तहत मानव और हाथियों के बीच संघर्ष को कम करने के लिए रास्ते में मधुमक्खियों का प्रयोग, अभयारण्य क्षेत्रों के पास के गांवों की सौर बाड़ लगाना और हाथियों को हादसों से बचाने के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग के पास स्वचालित सायरन लगाने का कार्य भी जिले में वन विभाग द्वारा किया गया था।
हालांकि, ये पायलट उपाय निर्धारित लक्ष्यों को पूरा करने में विफल होते दिख रहे हैं क्योंकि हाथियों और लोगों दोनों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है।
माना जाता है कि वनों की कटाई, अवैध खनन, सक्रिय लकड़ी माफिया और अवैध शिकार जैसे विभिन्न कारणों ने इस समस्या को बढ़ाने के प्रमुख कारण हैं।
आंकड़े बताते हैं कि ढेंकनाल जिले में 300 से अधिक हाथी हैं। इनमें से अकेले हिंदोल रेंज में 100 हाथी हैं। बताया जाता है कि प्राकृतिक निवास स्थान के नुकसान और मनुष्यों के साथ संघर्ष के कारण उनकी आबादी घट रही है। नियमित संघर्ष हो रहे हैं। मौत का सिलसिल दोनों तरफ से जारी है। इस संघर्ष से स्थानीय लोगों में दहशत देखने को मिला है।

Share this news

About desk

Check Also

ओडिशा में किसानों को 1,904 करोड़ की इनपुट सब्सिडी मिली

सरकार ने इस सीजन में अब तक 26,28,228 टन धान की खरीद की भुवनेश्वर। ओडिशा …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *