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ऋण धोखाधड़ी मामले में सतर्कता अदालत के फैसले को लेकर कांग्रेस विधायक को मिली बड़ी राहत
कटक। राज्य की उच्च न्यायालय ने बुधवार को कांग्रेस विधायक मोहम्मद मुकिम को बड़ी राहत देते हुए ऋण धोखाधड़ी मामले में सतर्कता अदालत द्वारा दी गयी सजा पर रोक लगा दी है।
यह फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि तीन साल के कठोर कारावास की सजा के कारण कटक-बारबाटी विधानसभा क्षेत्र के विधायक मुकिम को ओडिशा विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य घोषित कर दिया गया होता।
अपने 15 पृष्ठ के फैसले में राज्य की शीर्ष अदालत ने मामले को एक दुर्लभ और असाधारण मामला माना है और कहा कि दोषसिद्धि का मौजूदा विधायक की सदस्यता पर गंभीर परिणाम होता है।
यह जानकारी देते हुए मुकिम के वकील और वरिष्ठ वकील पीतांबर आचार्य ने कहा कि उच्च न्यायालय या अपीलीय अदालत स्थगन आदेश दे सकती है, यदि याचिकाकर्ता दुर्लभ श्रेणी के मामले में आता है। अपने 15 पृष्ठ के फैसले में ओडिशा उच्च न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा कि चूंकि मोहम्मद मुकिम के खिलाफ नामांकन दाखिल करने के दौरान कोई आरोप नहीं था और दोषसिद्धि का एक मौजूदा विधायक की सदस्यता पर गंभीर परिणाम होता है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए हाईकोर्ट ने दोषसिद्धि पर रोक लगाने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट ने मामले में प्राथमिक याचिका की सुनवाई की तारीख 22 फरवरी, 2023 तय की है।
इस फैसले के बाद कांग्रेस नेता कहा कि कटक शहर के लोगों ने मुझे चुना और उनकी आशा और आकांक्षा हमारे साथ है। अचानक दोषसिद्धि के आदेश ने विधायक के रूप में मेरी सदस्यता पर अनिश्चितता पैदा कर दी थी। उच्च न्यायालय ने अब इस पर रोक लगाने का आदेश दिया है। मुझे दोषी ठहराया गया और मुझे फिर से लोगों की सेवा करने का मौका दिया। मैं यह कहने में संकोच नहीं करूंगा कि इस मामले में मेरी कोई संलिप्तता नहीं है, कोई भ्रष्टाचार नहीं किया गया था और मैंने कोई अपराध नहीं किया था।
उल्लेखनीय है कि 10 अक्टूबर को उच्च न्यायालय ने मुकिम की याचिका को सतर्कता मामले में उन्हें दी गई जेल की सजा को चुनौती देने वाली याचिका को स्वीकार कर लिया था और उन्हें जमानत दे दी थी।
हाईकोर्ट ने जमानत देते हुए बारबाटी-कटक के विधायक को दो जमानतदारों के साथ एक लाख रुपये का जमानती मुचलका भरने को कहा था। अदालत ने ओडिशा ग्रामीण आवास एवं विकास निगम (ओआरएचडीसी) भ्रष्टाचार मामले में विधायक पर लगे जुर्माने पर भी रोक लगा दी थी।
इसके बाद 13 अक्टूबर को न्यायमूर्ति बीपी राउतराय ने मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
कांग्रेस नेता को पिछले महीने ओआरएचडीसी भ्रष्टाचार मामले में एक विशेष सतर्कता अदालत ने तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई थी। विशेष न्यायाधीश (सतर्कता), भुवनेश्वर की अदालत ने ओआरएचडीसी के पूर्व आईएएस अधिकारी और प्रबंध निदेशक विनोद कुमार, कंपनी सचिव, ओआरएचडीसी स्वस्ति रंजन महापात्र और रियल्टी पीयस मोहंती, निदेशक, मेट्रो बिल्डर्स प्राइवेट लिमिटेड को भी तीन साल की जेल की सजा सुनाई थी।