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अपनी शक्ति को जगाओ – मुनि जिनेश कुमार
कटक। आचार्य महाश्रमण के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमारजी के सान्निध्य में तथा तेरापंथी सभा के तत्वावधान में नवान्हिक आध्यात्मिक अनुष्ठान तेरापंथ सभा भवन मे कराया गया। जिसमें अच्छी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इस अवसर पर मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा – दुनिया में शक्ति का महत्व है शक्ति के बिना व्यक्ति का मूल्यांकन कम हो जाता है । शक्ति संपन्न वही व्यक्ति बन सकता है जो प्रभु की उपासना करता है, अपने आराध्य के प्रति समर्पित होता है। समर्पण के बिना व्यक्ति शक्ति को जागृत नहीं कर सकता है। शक्ति संपन्न आत्मा सत्य की प्राप्ति कर सकता है। शक्ति की प्राप्ति के लिए निर्मलता, ज्ञान-प्रकाश गंभीरता का होना जरूरी है निर्मलता का अर्थ है – राग-द्बेष से मुक्त होना । राग-द्बेष का मल रहता है, भीतर में कलुषता रहती है, वह निर्मलता की साधना नहीं कर सकता है।
तेज बुखार को उतारने के लिए बर्फ की पट्टी लगाई जाती है। उसी प्रकार राग-द्वेष के बुखार को उतरने के लिए क्षमारूपी बर्फ की पट्टी की आवश्यकता रहती है। मुनि ने आगे कहा – अरिहंत भगवान चन्द्रमा से अधिक निर्मल होते हैं चंद्रमा में दाग होता है लेकिन अरिहंत व सिद्ध भगवान में कोई दाग नहीं होता है। अरिहंत-सिद्ध सूर्य से अधिक तेजस्वी व प्रकाश वाले होते हैं। सूर्य अस्त हो जाता है, सूर्य में आग है लेकिन अरिहंत का ज्ञानरूपी प्रकाश कभी अस्त नहीं होता है न ही दाग होता। ज्ञान प्रकाश का होता है। अरिहंत भगवान सागर से भी अधिक गंभीर होते हैं गंभीरता महानता का गुण है, गंभीर व्यक्ति आदरणीय होता है। जो छिछला होता है वह अधीर होता है । उतावला होता है, बिना सोचे कार्य करता है वह सफलता को प्राप्त नहीं होता है। सफलता को वही प्राप्त कर सकता है जो गंभीर है। मुनि ने सबको आध्यात्मिक साधना की प्रेरणा दी। मुनि परमानंदजी ने अनुष्ठान कराया, मुनि कुणाल कुमार ने चौबीसी का संगान किया।