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खमत-खामणा का अर्थ सिर्फ क्षमायाचना ही नहीं है अपितु क्षमादान देना भी है -मुनि जिनेश कुमार

  • कहा-झगड़ालू नहीं, दयालु बनो

  • मैत्री के महान पर्व संवत्सरी की सम्पन्नता पर क्षमापना दिवस हर्षोल्लास पूर्वक मनाया गया

कटक। युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में ” क्षमापना दिवस” पर सामूहिक खमत-खामणा कार्यक्रम का भव्य आयोजन तेरापंथ भवन में आयोजित हुआ।
इस अवसर पर उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा कि जिसके शरीर के कण-कण में मैत्री की भावना प्रवाहित हो रही हो और व्यक्ति अपने आप को हल्का मान रहा हो, उन क्षणों का नाम खमत-खामणा है। खमत-खामणा से मानसिक प्रसन्नता की प्राप्ति होती है। खमत-खामणा का यह महापर्व क्षमा शूरों की महानतम देन है। मैत्री का यह महान पर्व जैन धर्म की अद्वितीय देन है। अगर मैत्री के इस पर्व को सभी लोग मनाने लगे तो अनेक समस्याओं का सहज समाधान हो सकता है। इंसान गलती का पुतला है उससे गलतियाँ होती है, भूलें होती है। भूल होना बड़ी बात नहीं है। बड़ी बात है अपनी गलतियों, भूलों को स्वीकार कर सामने वाले से क्षमा माँग लेना । खमत-खामणा का अर्थ सिर्फ क्षमायाचना ही नहीं है अपितु क्षमादान देना भी है। आज क्षमापना दिवस पर सरल हृदय से सभी से उदार दिल से खमतखामणा कर लेना है। व्यक्ति को झगड़ालू नहीं दयालु होना चाहिए। संवत्सरी महापर्व की आराधना तभी सार्थक होती है जब हम द्वेष की ग्रंथियों को खोलकर परस्पर खमत-खामणा करें। भगवान महावीर ने कहा- किसी को शत्रु मत मानो। सभी जीवों के साथ मैत्री भाव का विकास करना चाहिए।


इस अवसर पर मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने आचार्य प्रवर मुनिवृंद और समस्त श्रावक-श्राविका समाज से खमत-खामणा किया। उपस्थित सभी श्रद्धालुओं ने वंदनपूर्वक मुनि श्री से क्षमायाचना की ।
इस अवसर पर मुनि श्री परमानंद जी, बाल मुनि कुणाल कुमार जी, श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के अध्यक्ष मोहनलाल जी सिंघी, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष श्री भैरव जी दुगड, महासभा के आंचलिक प्रभारी श्री प्रफुल्ल जी बेताला, महासभा के कार्यकारिणी सदस्य श्री मुकेश जी सेठिया, तेरापंथ भवन समिति के अध्यक्ष श्री हीरालाल जी खटेड़, तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा श्रीमती हीरा बैद, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष श्री मुकेश जी डूंगरवाल, कन्यामण्डल से सुश्री निकिता दुगड़, किशोर मंडल से रौनक धाड़ेवा उपासिका श्रीमती समता सेठिया, ज्ञानशाला से प्रशिक्षिका श्रीमती उषा चोरड़िया, अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल कार्यकारिणी सदस्या श्रीमती इंदिरा लूणिया, उपासक श्री पानमल जी नाहटा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए खमत-खामणा किया। आभार ज्ञापन मंत्री श्री चैनरूप जी चोरड़िया ने किया। मंगलाचरण बाल मुनि कुणाल कुमार जी ने व कार्यक्रम का संचालन मुनि श्री परमानंद जी ने किया। इस अवसर पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण‌ उपस्थित थे संवत्सरी महापर्व पर 145 पौषध तेरापंथ भवन में हुई।

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