भुवनेश्वर. अंग्रेजी भाषा का प्रचलन कम होने पर बीजद को कष्ट हो रहा है. भुवनेश्वर स्थित एम्स में प्रशासनिक तौर हिन्दी भाषा का प्रयोग करने को बीजद का विरोध के बाद यह स्पष्ट हो गया है. बीजद का ओड़िया भाषा के प्रति ममता के बजाय अंग्रेजी भाषा के प्रति ममता ज्यादा है. बीजद द्वारा इस संबंध में दिये जा रहे बयानों पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा पूर्व सांसद खारबेल स्वाईं ने यह बात कही. पार्टी कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा कि एम्स प्रशासन द्वारा जो मेमो लाया गया है, उसमें इस बात का कहीं उल्लेख नहीं है कि ओड़िया भाषा का प्रयोग न किया जाए. इसी तरह मरीजों की सेवा व मरीजों से सीधे तौर पर जुड़े विभागों में किसी प्रकार की परिवर्तन की बात नहीं कही गई है. मरीज जिस भाषा को समझेंगे डाक्टर व नर्स उसी भाषा में बातचीत करेंगे. किसी भी भाषा को अनिवार्य नहीं किया गया है. मरीजों के साथ बातचीत ओड़िया भाषा में ही होगी. बीजू जनता दल बिना आधार के लोगों को भ्रमित कर रही है. स्वाईं ने कहा कि एम्स में एमबीबीएस व नर्सिंग में बच्चों को ओड़िया भाषा सिखायी जा रही है. उन्होंने पूछा कि कटक के एससीबी मेडिकल कालेज, बुर्ला मेडिकल कालेज व ब्रह्मपुर मेडिकल कालेज में सरकारी चिट्ठियां किस भाषा में लिखी जा रही हैं. उन्होंने पूछा कि न्यायालय में किस भाषा में काम हो रहा है. ओड़िया भाषा में लोगों को न्याय मिले इसके लिए बीजद सरकार ने किया क्या है. अनेक राज्यों ने अपनी भाषा में न्यायालय में काम कराने के लिए अनेक कदम उठा चुके हैं. बीजद सरकार ने इस बारे में क्या किया है, इसका जवाब देना चाहिए. सचिवालय में काम ओड़िया के बदले अंग्रेजी में क्यों हो रही है, इसका भी जवाब देना चाहिए.
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