कटक. महातपस्वी, युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी की अनुमति व परिवार जनों की स्वीकृति से स्व. चम्पालाल लूणिया की धर्मपत्नी गिन्नी देवी लूणिया ने आज मुनि श्री जिनेश कुमार जी के मुखारविंद से अत्यंत धैर्य एवं साहस का परिचय देते हुए तिविहार संथारा मध्याह्न 12 बजकर 23 मिनिट पर कटक स्थित अपने निवास स्थान पर ग्रहण किया. मुनिश्री जिनेश कुमार जी ने गुरु आज्ञा से संथारा साधिका गिन्नी देवी की संथारा ग्रहण करने की स्वीकृति प्राप्त कर विधिवत संथारा प्रत्याख्यान करवाया. इस अवसर पर परिवारजनों के अतिरिक्त संघीय संस्थाओं के पदाधिकारी व गणमान्य लोग भी विशेष रूप से उपस्थित थे.
मुनि जिनेश कुमार जी ने संथारा प्रत्याख्यान के बाद संथारा साधिका गिन्नी देवी एवं परिवारजनों का मनोबल बढ़ाते हुए कहा कि संथारा ग्रहण अपने आप में बहुत बड़ा सौभाग्य है. गिन्नी देवी ने अद्भुत शौर्य का परिचय देते हुए संथारा ग्रहण किया है. संथारा माटी के मंदिर पर स्वर्णकलश चढ़ाने के समान है. संथारा के लिए जैन तीर्थंकर हमारे आदर्श हैं. आचार्य श्री महाश्रमण जी की अनन्त कृपा का ही सुफल है. संथारा साधिका गिन्नी देवी अपने भावों को प्रवर्धमान बनाती रहें, यही आध्यात्मिक मंगल कामना प्रकट करता हूं. इस अवसर पर तेरापंथी महासभा के कार्यकारिणी सदस्य प्रफुल्ल बेताला व उपासक पानमल नाहटा ने भी मंगल कामना व्यक्त की. इस अवसर पर पुत्र उपासक राजेन्द्र लूणिया, संदीप, पुत्री सुमन, पुत्र वधू इन्द्रा, सभा के उपाध्यक्ष हनुमानमल सिंघी, तेयुप अध्यक्ष भैरव दुग्गड़, महिला मंडल अध्यक्ष हीरा बैद आदि संघीय संस्थाओं के गणमान्य व्यक्ति विशेष रूप से उपस्थित थे.