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लगभग 20 हजार स्थानीय जगन्नाथ भक्तों ने आयोजन में हिस्सा लिया
भुवनेश्वर. श्रीजगन्नाथ पुरी रथयात्रा के सभी रीति-नीति का अनुपालन करते हुए भुवनेश्वर, कीस, श्रीवाणीश्रेत्र जगन्नाथ मंदिर में रथयात्रा अनुष्ठित हुई. कीस जगन्नाथ मंदिर से चतुर्धा देवविग्रहों को मंगल आरती, मैलम, तडपलागी, रोशाधूप, अवकाश, सूर्यपूजा, रथ पूजा आदि रीति-नीति के साथ पहण्डी विजय कराकर रथारुढ़ कराया गया. छेरापहंरा का पवित्र दायित्व कीस जगन्नाथ मंदिर के प्राणप्रतिष्ठाता प्रोफेसर अच्युत सामंत ने निभाया. जय जगन्नाथ के जयघोष के साथ सबसे पहले बलभद्रजी का रथ तालध्वज चला, उसके बाद देवी सुभद्राजी का रथ देवदलन रथ तथा आखिरी में महाप्रभु जगन्नाथ का नंदिघोष रथ चला दिन्हें भक्तगण खींचकर कीस गुण्डिचा मंदिर लाये.
रथयात्रा के क्रम में गोटपुअ नृत्य प्रदर्शन तथा ओडिशी नृत्य प्रदर्शन यादगार रहा. अनेक जगन्नाथ भक्त शाम को गुण्डिचा मंदिर आकर चतुर्धा देवविग्रहों के दर्शन किये और उनका आशीर्वाद लिए. गौरतलब है कि चतुर्धा देवविग्रह गुण्डिचा मंदिर में 9 दिनों तक निवास करेंगे और उस दौरान प्रति शाम भजन समारोह का आयोजन होगा. आयोजन में देवी सुभद्रा के देवदलन रथ को महिलाओं ने खींचा, जबकि आयोजित रथयात्रा में कुल लगभग 20 हजार स्थानीय जगन्नाथ भक्तों ने हिस्सा लिया.