पुष्पा सिंघी, कटक
तेरापंथ भवन में युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के शिष्य मुनि श्री ज्ञानेंद्र कुमार जी व के सान्निध्य में स्थानीय तेरापंथी सभा द्वारा अहिंसा और विश्व शान्ति विषय पर मुनि श्री ने अपने विचार अभिव्यक्त करते हुए फरमाया कि अहिंसा ही विश्व शांति का प्रमुख आधार स्तंभ रहा है। अहिंसा के द्वारा सर्वत्र प्रेम और सौहार्द की भावना का विकास होता है म, जबकि हिंसा के द्वारा नफरत का जहर घुलता है। आज विश्व में हिंसा का दौर तेजी से फैल रहा है, जगह-जगह दंगे हो रहे हैं, खून-खराबा और युद्ध हो रहे हैं और इससे सिर्फ बर्बादी ही होती है। अहिंसा की भावना से ही हम पूरे विश्व को मानवता का संदेश दे सकते हैं। हिंसा के मुख्य कारक भूखमरी, बेरोजगारी और अशिक्षा है। इस दिशा में सार्थक प्रयास निष्पतिमूलक हो सकता है। भगवान महावीर ने कहा कि किसी भी जीव को मत मारो, यहाँ तक उसे सताओ भी मत और पीड़ित और शोषित भी मत करो। सभी प्राणियों को इस धरती पर जीने व फलने-फूलने का अधिकार है। अहिंसा अर्थात् सौहार्द और सामंजस्य की भावना, अहिंसा अर्थात् प्रेम मैत्री करुणा की भावना, अहिंसा अर्थात् मानवता की भावना। नये समाज की सरंचना हेतु सभी प्रेम से मिल-जुल कर शांति से रहें। नफरत, लालच, स्वार्थ, दुर्नीति से इस विश्व को बचाएं और अमन-चैन शांति लाएं।
प्रेस कांफ्रेंस में अनेक मीडियाकर्मी उपस्थित थे और उन्होंने मुनिश्री के समक्ष अपनी जिज्ञासाएं रखी। मुनिश्री ने उनका यथोचित समाधान प्रस्तुत किया। सहवर्ती मुनि पदम कुमार जी ने भी अपनी बात कही। समाज के विभिन्न गणमान्य व्यक्ति इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में शामिल हुए।
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