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हर दिन 10 से 16 बच्चे इलाज के लिए पहुंच रहे हैं अस्पतार
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एम्स और कैपिटल अस्पताल ने की पुष्टि, बीमारी जानलेवा नहीं
भुवनेश्वर. कोरोना के बाद राजधानी भुवनेश्वर में टमैटो फ्लू ने अब खतरे की घंटी बजानी शुरू कर दी है. रोजाना 10 से 16 बच्चे इलाज के लिए अस्पताल पहुंच रहे हैं.
एम्स भुवनेश्वर ने दावा किया है कि इस फ्लू जैसे लक्षणों वाले चार से पांच रोगी दैनिक आधार पर इलाज के लिए आ रहे हैं. एम्स के अतिरिक्त अधीक्षक प्रभास त्रिपाठी ने कहा कि उन्हें हर दिन चार से पांच मरीज टमैटो फ्लू जैसे लक्षणों के साथ देखने को मिल रहे हैं. यह संख्या पिछले दो दिनों से बनी हुई है. हालांकि उन्हें ओपीडी में इलाज के बाद छुट्टी दी जा रही है. उन्होंने माता-पिता से ऐसे फ्लू से संक्रमित बच्चों को संगरोध में रखने का आग्रह किया है. इधर, खबर है कि एम्स के अलावा राजधानी स्थित कैपिटल अस्पताल में भी पिछले 15 दिनों से टमैटो फ्लू के लक्षण वाले पांच से आठ बच्चे आ रहे हैं. इस बात की पुष्टि कैपिटल हॉस्पिटल के निदेशक डॉ लक्ष्मीधर साहू ने की है. उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चों की स्थिति गंभीर नहीं है. मुंह के अंदर लाल रंग के घाव, त्वचा पर चकत्ते, भूख न लगना, खांसी और भोजन को निगलते समय गले में दर्द की शिकायत इसके लक्षण हैं. दो-चार दिन की दवा के बाद वे ठीक हो रहे हैं. हम यहां संदिग्ध मामलों के नमूने भी प्रयोगशाला परीक्षण के लिए आरएमआरसी को भेज रहे हैं. हमें पांच से सात दिनों में रिपोर्ट मिलने की उम्मीद है.
उन्होंने कहा कि स्थिति अब नियंत्रण में है. चूंकि टमैटो फ्लू के सभी लक्षण दिखाई नहीं दे रहे हैं, इसलिए घबराने की कोई बात नहीं है. उन्होंने बताया कि रोगी के मुंह और गले सहित शरीर के अन्य हिस्सों पर त्वचा के लाल रंग की छाले में बाहर आते हैं. इस बीमारी को टमैटो फ्लू कहा जाता है, क्योंकि लाल रंग के तरल पदार्थ से भरे ये छाले टमाटर की तरह ही दिखते हैं.
आतंकित होने की आवश्यकता नहीं
राज्य के स्वास्थ्य निर्देशक निरंजन मिश्र ने कहा कि केरल में अब तक टमैटो फ्लू के 82 मामलों की पहचान की जा चुकी है, लेकिन केन्द्र सरकारी की ओर से किसी प्रकार का एडवाइजरी नहीं दी है और न ही सर्वेलैंस करने के लिए अलर्ट जारी की है. इसलिए इसे लेकर किसी प्रकार से आतंकित होने की आवश्यकता नहीं है.