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सेवा एक महत्त्वपूर्ण कार्य – मुनि जिनेश कुमार
कटक. युगप्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी के सुशिष्य मुनि श्री जिनेश कुमार जी ठाणा-3 के “अपना घर आश्रम” कटक पधारने पर संस्थान के पदाधिकारियों द्वारा मुनिवृन्दों का भावभीना स्वागत किया गया. इस अवसर पर मुनिवृन्द का प्रवचन कार्यक्रम आयोजित किया गया.
कार्यक्रम में उपस्थित मंदबुद्धि दरिद्रनारायण प्रभुजी को संबोधित करते मुनि श्री जिनेश कुमार जी ने कहा कि सेवा बहुत बड़ी शक्ति है. सेवा वशीकरण मंत्र है. सेवा करने वाला प्रभु बन जाता है. सेवा से मानवता का विकास होता है. सेवा के लिए समर्पण व अनाग्रह चेतना का विकास जरूरी है. आग्रह जहां होता है, वहां विग्रह उत्पन्न होता है. मानवता के विकास का दूसरा सूत्र है अनावेश का विकास. जहां क्रोध होता है, वहां मानवता खंडित हो जाती है. क्रोध से बचना चाहिए. तीसरा सूत्र है- अनासक्ति. कोई भी पदार्थ, वस्तु के साथ लालसा नहीं होनी चाहिए. आज हम अपना घर आश्रम में आये हैं. अपना घर आश्रम में लावारिश, मंदबुद्धि बुजुगों की प्रभुजी की सेवा की जाती है. लौकिक दृष्टि से यह सेवा का महत्वपूर्ण- कार्य है. मुनि ने आगे कहा कि निःस्वार्थ भाव से सेवा करने वाले व्यक्ति की सेवा ही सेवा है. स्वार्थ से की जाने वाली सेवा, सेवा नहीं होती, वह तो सौदा बन जाती है. संस्थान हमेशा पवित्रता के साथ पवित्र कार्य करता रहे. सद्भावना, नैतिकता नशामुक्ति जरूरी है. मुनि कुणाल कुमार जी के मंगलाचरण गीत से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ. इस अवसर पर सुखदेव लाडसरिया नथमल लाडसरिया, सुभाष भुरा, बच्छराज बेताला, दिलीप विनायकिया, मुन्ना भाई जैन ने अपने विचार रखे. संचालन मुनि परमानंद ने किया.