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एशिया के सबसे बड़े थाने के पास है जगन्नाथ मंदिर के सुरक्षा का दायित्व
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मंदिर में लगाए गए 135 सीसीटीवी कैमरा में से 129 सीसीटीव कैमरा खराब: जिला प्रशासन मौन
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मंदिर के अन्दर ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मचारी सिनेमा देखने एवं गेम खेलने में रहते हैं मश्त: दइतापति सेवक
शेषनाथ राय, भुवनेश्वर
देश के चार प्रमुख धाम में से एक है पुरी का जगन्नाथ धाम। महाप्रभु की एक झलक पाने के लिए यहां हर दिन हजारों की संख्या में भक्त देश के कोने कोने से आते हैं। एशिया के सबसे बड़े थाने के जिम्मे महाप्रभु के मंदिर की सुरक्षा जिम्मेदारी है। लगभग 16 पुलिस कर्मचारी जगन्नाथ मंदिर के चारों द्वार पर बंदूक लेकर सुरक्षा में व्यवस्था में चौबीस घंटे तैनात रहते हैं। बावजूद इसके मात्र एक व्यक्ति द्वारा महाप्रभु के पाकशाला में बने 40 चुल्हों को तोड़ दिए जाने को लेकर पुरी जिला प्रशासन एवं मंदिर प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े हो रहे हैं। घटना के बाद प्रशासन द्वारा की गई एक व्यक्ति की गिरफ्तारी को भी लोग आसानी से हजम नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में पिछले दिनों हुए घटनाक्रम, मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर पड़ताल करते हुए पुरी से लक्ष्मी पटनायक एवं भुवनेश्वर से शेषनाथ राय की विस्तृत रिपोर्ट—-
मंदिर में लगाए गए 135 सीसीटीवी कैमरा में से 129 सीसीटीव कैमरा खराब
पुरी जगन्नाथ मंदिर में लगाए गए 135 सीसीटीवी कैमरा में से मात्र 6 कैमरा काम कर रहा है। बाकी 129 कैमरा खराब है। 2011 में पुरी जगन्नाथ मंदिर में लगाए गए सीसीटीवी कैमरों को ठीक करने एवं इसके रखरखाव के लिए 81 लाख रुपया बजट की व्यवस्था की गई थी। इस राशि की व्यवस्था एक साल पहले ही कर दी गई मगर सीसीटीवी कैमरा क्यों ठीक नहीं हुआ इसका जवाब देने वाला कोई नहीं है। हालांकि घटनाक्रम के बाद अब यह निर्णय जरूर लिया गया है कि पुरी जगन्नाथ मंदिर की सुरक्षा को लेकर मासिक नहीं बल्कि साप्ताहिक बैठक होगी।
सुरक्षा दायित्व में रहने वाले अधिकारियों के खिलाफ हो सख्त कार्रवाई
पुरी जगन्नाथ मंदिर के पाकशाला में बने चुल्हों में हुई तोड़फोड़ घटना ने ना सिर्फ जगन्नाथ भक्तों को आहत किया है बल्कि मंदिर की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा कर दिया है। भक्तों ने सुरक्षा दायित्व में रहने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई करने की मांग की है।
सुरक्षा दायित्व में रहने वाले अधिकारियों के मन में महाप्रभु की सुरक्षा के प्रति आंतरिकता की कमी है: प्रियदर्शन पटनायक, आवाहक जगन्नाथ सेना
जगन्नाथ सेना के आवाह्क प्रियदर्शन पटनायक ने कहा है कि पुरी जगन्नाथ मंदिर की सुरक्षा की जिम्मेदारी एशिया के सबसे बड़े थाना सिंहद्वारा थाना के पास है। यहां 100-100 पुलिस कर्मचारी सुरक्षा दायित्व में रहते हैं। मंदिर के चारों द्वार पर बंदूक लेकर पहरा देते हैं। इसके बावजूद यदि महाप्रभु के चुल्हे को तोड़ दिया गया तो फिर सुरक्षा की ढिलाई के लिए कौन जिम्मेदार है। इससे यह स्पष्ट हो रहा है कि सुरक्षा दायित्व में रहने वाले अधिकारियों के मन में महाप्रभु की सुरक्षा के प्रति आंतरिकता की कमी है।
जगन्नाथ जी के नाम पर लूट करने की योजना चल रही है: पटनायक
प्रियदर्शन पटनायक ने कहा है कि जगन्नाथ जी के नाम पर लूट करने की योजना चल रही है। परिक्रमा के नाम पर 3200 करोड़ रुपया का जो काम हो रहा है, उसमें से किस प्रकार से दो से ढाई हजार करोड़ रुपये लूट की जाए, इस पर सबका ध्यान लगा हुआ है। क्योंकि जगन्नाथ जी महाप्रभु के नाम पर जो काम हो रहा है, उसका अडिट नहीं होगा। महाप्रभु की सुरक्षा को लेकर सरकार एवं प्रशासन में आंतरिकता की कमी साफ तौर पर देखी जा सकती है। उन्होंने श्रीमंदिर परिक्रमा मार्ग पर भी सवाल खड़े करते हुए कहा कि यह किसके लिए है, यदि महाप्रभु का पाकशाला सुरक्षित नहीं है, महाप्रभु यदि भोग नहीं कर पाएंगे, साढ़े चार करोड़ ओड़िआ अबढ़ा नहीं खा पाएंगे तो फिर मार्ग किसके लिए बन रहा है। जगन्नाथ मंदिर के उप मुख्य प्रशासक पुरी के जिलाधीश होते हैं जबकि खुद आरक्षी अधीक्षक थाने को नियंत्रण करते हैं। मंदिर के सुरक्षा के लिए डीएसपी स्तर के अधिकारी को दायित्व दिया गया है, फिर भी महाप्रभु के पाकशाला में तोड़फोड़ हो जाना इन अधिकारियों के भी कार्यशैली पर सवाल खड़ा करती है। मामले की जांच कर दोषियों को सख्त से सख्त सजा दिलाने के लिए भक्तों ने मांग की है।
पुरी जगन्नाथ मंदिर का एक बड़ा आकर्षण यहां की पाकशाला है। यह पाकशाला भारत का सबसे बड़ा पाकशाला है। इस विशाल पाकशाला में 240 चुल्हे हैं। भगवान को चढाने वाले अन्न प्रसाद को तैयार करने के लिए 500 रसोईए तथा उनके 300 सहयोगी काम करते हैं।
गौरतलब है कि वर्तमान मन्दिर के निर्माण कार्य को कलिंग राजा अनन्तवर्मन चोडगंग देव ने आरम्भ कराया था। मन्दिर के जगमोहन और विमान भाग इनके शासन काल (1078- 1148) में बने थे। सन् 1197 में जाकर ओडिआ शासक अनंग भीम देव ने इस मन्दिर को वर्तमान रूप दिया था।
देवता
भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा, इस मंदिर के मुख्य देव हैं। इनकी मूर्तियां, एक रत्न मण्डित पाषाण चबूतरे पर गर्भ गृह में स्थापित हैं। इतिहास अनुसार इन मूर्तियों की अर्चना मंदिर निर्माण से कहीं पहले से की जाती रही है। सम्भव है, कि यह प्राचीन जनजातियों द्वारा भी पूजित रही हो।
उत्सव
यहां दैनिक पूजा-अर्चनाएं होती हैं। यहां कई वार्षिक त्यौहार भी आयोजित होते हैं, जिनमें लाखों लोग भाग लेते हैं। इनमें सर्वाधिक महत्व का त्यौहार है, रथ यात्रा, जो आषाढ शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को, तदनुसार लगभग जून या जुलाई माह में आयोजित होता है। इस उत्सव में तीनों मूर्तियों को अति भव्य और विशाल रथों में सुसज्जित कराकर, रथयात्रा निकाली जाती है। यह यात्रा लगभग तीन किलोमीटर लम्बी होती है, जिसमें उत्कल प्रांत के अलावा देश-विदेश से लाखो जगन्नाथ भक्त शरीक होते है। रथयात्रा के बाद महाप्रभु का सोने का वेश होता है जिसे देखने के लिए 15 से 20 लाख भक्तों का जमावड़ा पुरी में होता है।
जगन्नाथ मंदिर के अन्दर तैनात पुलिस कर्मचारी मोबाइल पर गेम खेलने में मश्त रहते हैं: दइतापति सेवक रघुनाथ दासमहापात्र
जगन्नाथ महाप्रभु के दइतापति सेवक रघुनाथ दासमहापात्र ने पुरी जगन्नाथ मंदिर के अन्दर सरुक्षा व्यवस्था में तैनात पुलिस कर्मचारियों की कलई खोलते हुए कहा है कि मंदिर के अन्दर मोबाइल ले जाने पर प्रतिबंध है बावजूद इसके पुलिस कर्मचारी मंदिर के अन्दर मोबाइल ले जाते हैं और मंदिर की सुरक्षा करने के बदले दिन भर मोबाइल में लगे रहते हैं। सिनेमा देखने से लेकर गेम खेलते रहे हैं। ऐसे में ये पुलिस कर्मचारी किस प्रकार से महाप्रभु की सुरक्षा करेंगे, यह अपने आप में ही प्रश्नचिन्ह खड़ा करता है। इतना ही नहीं कोई यदि सरकारी अधिकारी या नेता मंदिर परिदर्शन के लिए आता है तो मंदिर अन्दर ड्यूटी में लगे पुलिस कर्मचारी मंदिर की सुरक्षा के बदले उनकी सेवा लग जाते हैं। सिंहद्वार के सामने बने बैरिकेट से केवल जगन्नाथ महाप्रभु के सेवकों को जाने की अनुमति है, मगर कुछ पुलिस कर्मचारी इस रास्ते से भी पैसा लेकर भक्तों को मंदिर के अन्दर प्रवेश करा देते हैं, इस पर भी कार्रवाई होनी चाहिए।