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ओड़िशा सरकार को लगा बड़ा झटका: राज्य सरकार द्वारा लिंगराज मंदिर पर लाए गए अध्यादेश पर रोक: राजभवन ने मुख्य सचिव से मांगा स्पष्टीकरण

भुवनेश्वर,राज्य सरकार को बड़ा झटका लगा है। राजधानी भुवनेश्वर में मौजूद महाप्रभु श्रीलिंगराज मंदिर एवं इसके आस-पास मौजूद और 8 मंदिर को एक विशेष कानून के अन्दर लाने के लिए राज्य सरकार की तरफ से जारी किए गए अध्यादेश पर केन्द्र संस्कृति मंत्रालय ने ने रोक लगा दिया है। केन्द्र संस्कृति मंत्रालय ने कहा है कि इस तरह के अध्यादेश लाने की क्षमता राज्य सरकार के पास नहीं है। ऐसा करने से केन्द्र सरकार द्वारा बनाए गए कानून एवं राज्य सरकार के कानून के बीच मतभेद होगा।
भुवनेश्वर स्थित श्रीलिंगराज मंदिर एवं इसके आस-पास में मौजूद और 8 मंदिर को विशेष कानून के अन्दर रखने के लिए राज्य सरकार ने अध्यादेश लाया था। इससे पुरी जगन्नाथ मंदिर के तर्ज पर लिंगराज मंदिर एवं इसके आस-पास के मंदिर को लिंगराज मंदिर संचालन कमेटी के अधीन लाने की योजना थी। ओड़िशा विधानसभा में अध्यादेश पारित होने के बाद केन्द्र सरकार के पास भेजा या था। केन्द्र संस्कृति मंत्रालय ने इस अध्यादेश के कई अनुच्छेद पर आपत्ति जतायी थी।
केन्द्र संस्कृति मंत्रालय ने कहा है कि अध्यादेश से प्राचीन ऐतिह्य पुरातत्वविद के अवशेष कानून 1958 का उल्लंघन करता है। केन्द्र सरकार ने कहा है कि लिंगराज मंदिर के आस-पास निर्माण कार्य कर राज्य सरकार इस कानून का उल्लंघन कर रही है।इस कानून के अनुसार मंदिर के 100 मीटर परिधि को सुरक्षित क्षेत्र रखा गया है। इस क्षेत्र में कोई भी निर्माण कार्य नहीं हो सकता है। उसी तरह से 200 मीटर परिधि में काम करने के लिए पुरातत्वविद से अनुमति लेना होगा।
राज्य सरकार के अध्यादेश से इन नियमों का उल्लंघन होने की बात केन्द्र सरकार की तरफ से दर्शायी गई है। इस संबन्ध में केन्द्र गृह मंत्रालय की तरफ से राज्यपाल को जानकारी दी गई है। राजभवन की तरफ से इस पर स्पष्टीकरण देने के लिए मुख्य सचिव से कहा गया है। हालांकि इस पर अभी तक इस संदर्भ में राज्य सरकार का पक्ष स्पष्ट नहीं हो पाया है।
अध्यादेश के प्रावधानों के अनुसार, मंदिर के प्रबंधन के लिए 15 सदस्यीय समिति का गठन किया जा सकता है और एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी को इसके प्रशासक के रूप में नियुक्त किया जा सकता है। वर्तमान में, लिंगराज मंदिर ओडिशा हिंदू धार्मिक बंदोबस्ती अधिनियम, 1951 द्वारा शासित है। यह अधिकांश मंदिरों के लिए एक सामान्य कानून है। गौरतलब है कि अध्यादेश को राष्ट्रपति के पास अनुमति के लिए जाने के बाद केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने सवाल उठाए हैं।
यह उल्लेखनीय है कि ओडिशा मंत्रिमंडल ने 14 दिसंबर, 2020 को श्री जगन्नाथ मंदिर अधिनियम के अनुरूप श्री लिंगराज मंदिर अध्यादेश 2020 को मंजूरी दी थी। श्री लिंगराज मंदिर अध्यादेश 2020 के अनुसार चल, अचल संपत्तियों और बंदोबस्ती के संरक्षण और प्रबंधन के लिए प्रावधान किए गए थे।

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