-
पितृपक्ष में गोसेवा का है विशेष महत्व, गाय, कौआ और कुत्तों को कराया जाता है भोजन
कटक. कोरोना महामारी के बीच नंदगांव वृद्ध गोसेवा आश्रम मंगराजपुर, चौद्वार में गोसेवा की विशेष व्यवस्था की गयी है. पितृपक्ष के दौरान यहां गोमाता के भोजन के लिए कुछ राशि दान करने की व्यवस्था की गयी है. उल्लेखनीय है कि पितृपक्ष में गोसेवा का विशेष महत्व है. इस दौरान गाय, कौआ और कुत्तों को भोजन कराने की परंपरा रही है. भाद्रपद मास की पूर्णिमा तिथि से लेकर अश्वनि की अमावस्या तक का समय श्राद्ध व पितृ पक्ष कहलाता है. इन 16 दिनों में पितरों को खुश कराने के लिए ब्राह्मणों को भोजन करवाया जाता है. इसके साथ ही पंचबलि यानी गाय, कुत्ते, कौए, देवता और चीटियों को भोजन सामग्री दी जाती है. मान्यता है कि कुत्ता जल तत्त्व का प्रतीक है, चींटी अग्नि तत्व का, कौआ वायु तत्व का, गाय पृथ्वी तत्व का और देवता आकाश तत्व का प्रतीक हैं. इस प्रकार इन पांचों को आहार देकर हम पंच तत्वों के प्रति आभार व्यक्त करते हैं. इसमें सबसे बड़ी बात है कि केवल गाय में ही एक साथ पांच तत्व पाए जाते हैं. इसलिए पितृपक्ष में गाय की सेवा विशेष फलदाई होती है.
नंदगांव वृद्ध गोसेवा आश्रम मंगराजपुर के अध्यक्ष कमल सिकरिया ने बताया कि अभी कोरोना महामारी का समय है. इसलिए लोगों को गया या इलाहाबाद जाकर पिण्डदान करने में दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा. इसे देखते हुए गोशाला में विशेष गोसेवा की व्यवस्था की गयी है. पितृपक्ष के दौरान लोग गोमाताओं के लिए भोजन की एक मुश्त राशि जमाकर विशेष विधि-विधान से गोसेवा कर सकते हैं. इस सेवा से पूर्वज भी खुश होंगे. भारतीय संस्कृति में गोसेवा से बड़ी कोई सेवा नहीं. एक गोमाता की पूजा का मतलब 36 करोड़ देवी-देवताओं की पूजा पाठ करना है. उन्होंने कहा कि इसलिए पितृपक्ष में विशेष गोसेवा की व्यवस्था की गयी है. नंदगांव गोशाला में वृद्ध गायों की गौ ग्रास की सेवा बाह्मणों द्वारा संकल्प करवाकर की जाती है.