दिल्ली, केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने गुरुवार को कहा कि देश भर में आयोजित हो रहे “हुनर हाट” में ”विश्वकर्मा वाटिका” में देश के शिल्पकारों, मूर्तिकारों, संगतराशों, लोहार, बढ़ई, माटी कला, स्वर्ण-कांस्य, कांच, ब्रास कला आदि जैसे सैंकड़ों परंपरागत कार्यों से लोग जीवंत रूबरू होंगें। पहली “विश्वकर्मा वाटिका”, 16 अक्टूबर से रामपुर (यूपी) में आयोजित “हुनर हाट” में लग रही है। इस ”हुनर हाट” का उद्घाटन केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ”विश्वकर्मा जयंती” पर ”मन की बात” में कहा था कि “जो सृष्टि और निर्माण से जुड़े सभी कर्म करता है वह विश्वकर्मा है। हमारे शास्त्रों की नजर में हमारे आस-पास निर्माण और सृजन में जुटे जितने भी स्किल्ड, हुनरमंद लोग हैं, वो भगवान विश्वकर्मा की विरासत हैं | इनके बिना हम अपने जीवन की कल्पना भी नहीं कर सकते |”
नकवी ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव” के तहत देश भर में आयोजित होने जा रहे 75 “हुनर हाटों” की श्रृंखला में रामपुर (यूपी) में 16 से 25 अक्टूबर तक आयोजित हो रहे “हुनर हाट” का उद्घाटन 16 अक्टूबर को केंद्रीय शिक्षा और कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान करेंगे।
इस अवसर पर नकवी एवं केंद्रीय संसदीय कार्य एवं संस्कृति राज्य मंत्री अर्जुन राम मेघवाल मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि नुमाइश ग्राउंड, पनवड़िया, रामपुर में आयोजित हो रहे “हुनर हाट” में 30 से ज्यादा राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के लगभग 700 दस्तकार, शिल्पकार, कारीगर अपने स्वदेशी हस्तनिर्मित उत्पादनों की प्रदर्शनी एवं बिक्री के लिए आये हैं। इस 29वे “हुनर हाट” में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, दिल्ली, नागालैंड, मध्य प्रदेश, मणिपुर, बिहार, आँध्र प्रदेश, झारखण्ड, गोवा, पंजाब, लद्दाख, कर्नाटक, गुजरात, हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, केरल एवं अन्य क्षेत्रों से हुनर के उस्ताद कारीगर अपने साथ लकड़ी, ब्रास, बांस, शीशे, कपडे, कागज़, मिटटी आदि के शानदार उत्पाद लेकर आये हैं।
उन्होंने कहा कि “हुनर हाट” में “कबाड़ से कमाल” को प्रोत्साहित करते हुए फेंक दिए जाने वाले लोहे, रबर, प्लास्टिक, कपडे, शीशे, पीतल, ताम्बा, सेरेमिक, लकड़ी आदि से निर्मित सामग्री, “हुनर हाट” आने वाले लोग देख और खरीद सकेंगें। देश के हर कोने के पारम्परिक विशिष्ट व्यंजनों का सेक्शन “बावर्चीखाना” में एक ही स्थान पर भारत के सभी प्रांतों के पकवान होंगें। इन पारम्परिक पकवानों में अवध, रामपुर, हैदराबाद, महाराष्ट्र, गोवा, बिहार, राजस्थान, नार्थईस्ट, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, मध्य प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, मैसूरु आदि के लज़ीज़ व्यंजनों का लोग आनंद ले सकेंगें।
नकवी ने कहा कि “हुनर हाट”, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के “स्वदेशी-स्वावलंबन” और “वोकल फॉर लोकल” के अभियान को मजबूती देने के साथ-साथ स्वदेशी दस्तकारों, शिल्पकारों को रोजगार देने और उनके शानदार हस्तनिर्मित उत्पादों को बाजार मुहैया कराने का एक प्रामाणिक प्लेटफॉर्म” साबित हुआ है।
नकवी ने बताया कि रामपुर के बाद, 29 अक्टूबर से 7 नवम्बर को देहरादून, 12 नवम्बर से 21 नवम्बर के बीच लखनऊ, 26 नवम्बर से 5 दिसंबर तक हैदराबाद, 10 दिसंबर से 19 दिसंबर तक सूरत एवं 22 दिसंबर 2021 से 2 जनवरी 2022 तक नई दिल्ली में “हुनर हाट” का आयोजन होगा।
साभार-हिस