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पूर्वी लद्दाख में चीन सीमा की जमीनी हकीकत पर बारीकी से रखी जा रही है नजर
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पड़ोसियों से सुरक्षा चुनौतियों के मद्देनजर बदलाव के दौर से गुजर रही है वायुसेना
नई दिल्ली, भारतीय वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर मौजूदा बचे हुए स्थानों, तैनाती या किसी भी बदलाव के संदर्भ में जमीनी हकीकत की बारीकी से निगरानी की जा रही है। चीन के साथ अगले दौर के लिए बातचीत चल रही है। कमांडर स्तर की वार्ता का प्रस्ताव है और निर्णय लिए जाएंगे। लद्दाख पर बनी हुई स्थिति को लेकर कहा कि पहला प्रयास बातचीत जारी रखकर आपसी सहमति से विवादित क्षेत्रों में विस्थापन प्रक्रिया पालन करने पर है। इसके साथ ही समानांतर में हम अपनी ओर से सभी आवश्यक कार्रवाई भी कर रहे हैं। अब अगले स्तर की बातचीत होगी और जल्द ही इस मुद्दे पर फैसला लिया जाएगा।
भारत-चीन मुद्दों पर एयर चीफ मार्शल भदौरिया ने कहा कि एक साल पहले जब चीन सीमा पर हमने लड़ाकू बेड़े की तैनाती की थी तो उसके बाद एक साल में हमारी ताकत को कम करने का तो सवाल ही पैदा नहीं है। इस एक साल में हमने भी कदम उठाए हैं और काम किया है। हमारी क्षमता जो एक साल पहले थी आज उससे कहीं ज्यादा है। इंटीग्रेटेड थिएटर कमांड पर चर्चा चल रही है। क्षमता बढ़ाने के लिहाज से राफेल और एलसीए के बाद हमने 2-3 बड़े कदम उठाए हैं। सबसे बड़ा फैसला 5वीं पीढ़ी का एयरक्राफ्ट देश में ही बनाने के लिए लिया गया है जो डीआरडी बनाएगा। शेड्यूल के अनुसार 2022 तक सभी 36 राफेल विमानों को भारतीय वायुसेना में शामिल कर लिया जायेगा। तेलंगाना स्थित हैदराबाद के डुंडीगल में वायुसेना अकादमी में कंबाइंड ग्रेजुएशन परेड के दौरान लड़ाकू विमान ने उड़ान भरी।
एयर चीफ मार्शल भदौरिया शनिवार को भारतीय वायुसेना की विभिन्न शाखाओं के फ्लाइट कैडेटों का प्रशिक्षण समापन होने पर वायुसेना अकादमी डुंडीगल में आयोजित संयुक्त स्नातक परेड (सीजीपी) को संबोधित कर रहे थे। बतौर मुख्य अतिथि वायुसेनाध्यक्ष ने कहा कि हमारे संचालन के हर पहलू में आला प्रौद्योगिकी और लड़ाकू शक्ति का कभी भी इतनी तेजी से विस्तार नहीं हुआ, जितना अब हो रहा है। तेजी से बदल रही सुरक्षा चुनौतियों और पड़ोस एवं अन्य क्षेत्रों में बढ़ती भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के मद्देनजर भारतीय वायुसेना प्रौद्योगिकियों को तेजी से शामिल करके परिवर्तन के महत्वपूर्ण दौर से गुजर रही है। पिछले कुछ दशकों के दौरान किसी भी तरह के संघर्ष में हुई जीत के पीछे भारतीय वायु शक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। यह इसलिए हो पाया है क्योंकि भारतीय वायुसेना की क्षमता में लगातार वृद्धि हो रही है।
एयर चीफ मार्शल ने कैडेट्स से कहा कि वायुसेना में लॉजिस्टिक, इन्वेंट्री प्रबंधन, खरीद और आपूर्ति पूरी तरह से कम्प्यूटरीकृत नेटवर्क से जुड़ा है, इसलिए बुनियादी प्रशासन की दक्षता बढ़ाने के लिए आप सभी को पूरी तरह से पेपरलेस ई-गवर्नेंस के साथ जोड़ा जाएगा। मेरा हमेशा से मानना रहा है कि आज की पीढ़ी तकनीकी रूप से कुशल और डिजिटल स्पेस का उपयोग करने से अच्छी तरह वाकिफ है। अब अपनी योग्यता साबित करने का समय आ गया है। जब आप इन पोर्टलों पर कार्य करेंगे तो वह न केवल चुनौती होगी बल्कि आपकी कार्य क्षमता भी बढ़ेगी। वायुसेना की अपेक्षा पर खरा उतरने के लिए आपको कड़ी मेहनत करनी होगी। इसी फोकस के साथ एनडीए में वायुसेना के कैडेटों के लिए अनिवार्य रूप से बीटेक की डिग्री शुरू की गई थी। यही वजह है कि आज पास आउट हुए फ्लाइंग ब्रांच के 87 स्नातक अधिकारियों में से 81 बीटेक हैं।
एयर चीफ ने भरोसा जताया कि बीटेक की डिग्री होने से आधुनिक प्लेटफॉर्मों, हथियारों, सेंसरों और प्रौद्योगिकियों को तेजी से समझने और उनका उपयोग करने में फ़्लाइंग कैडेट्स को आसानी होगी। प्रौद्योगिकी में प्रगति होने के बावजूद वायुसेना की मूल ताकत ‘हमारे लोग’ हैं जिनका सहयोग आपको हमेशा मिलेगा। कोरोना महामारी के खिलाफ राष्ट्रीय लड़ाई में वायुसेना सक्रिय रूप से सहायता कर रही है। वायुसेना के भीतर सक्रिय टीकाकरण और सख्त अनुशासन ने हमें कोरोना के खिलाफ युद्ध स्तर पर लड़ाई करने में सक्षम बनाया है। भदौरिया ने कहा कि वायुसेना के परिवहन बेड़े ने देश में ऑक्सीजन संकट के समय अंतरराष्ट्रीय और घरेलू स्तर पर ऑक्सीजन टैंकरों, संबंधित चिकित्सा उपकरणों की आपूर्ति के लिए दो महीने के भीतर 3800 घंटे से अधिक की उड़ान भरी।
परेड समारोह के अंत में एयर चीफ ने कैडेट्स से कहा कि आप सभी उस क्षेत्र में शामिल हो रहे हैं जो इस स्तर पर पूरे स्पेक्ट्रम में काम करता है। आने वाले वर्षों में आप इस महत्वपूर्ण परिवर्तन का एक अभिन्न हिस्सा होंगे। जैसे-जैसे आप अपने करियर में आगे बढ़ते हैं, दृढ़ संकल्प और साहस के साथ प्रत्येक चुनौती का सामना करते हैं, अपने आप को गरिमा और सम्मान के साथ संचालित करते हैं और उच्चतम पेशेवर मानकों का लक्ष्य रखते हैं। इसलिए व्यक्तिगत उदाहरण का नेतृत्व करें और हमेशा हर समय वायुसेना के लोकाचार और संस्कृति को बनाए रखें।
साभार – हिस