नई दिल्ली, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दो दिवसीय दिल्ली दौरे के बाद राष्ट्रीय राजधानी की सियासत में जून माह की तपिश का पारा ऊपर ही चढ़ता जा रहा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दिल्ली दौरे और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा से मुलाकात के बाद भी बैठकों का दौर थमा नहीं। इस मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री ने अमित शाह और जे पी नड्डा को अपने आवास पर बुलाया। इन तीनों नेताओं की बैठक से कयासों का बाजार गर्म है।
हालांकि, चर्चा तो केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार की है, किंतु इसके गर्भ में उतर प्रदेश के वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के साथ ही कांग्रेस नेतृत्व की पंजाब और राजस्थान राज्यों की सियासी उठापटक भी शामिल है। मोदी, शाह और नड्डा की इस तीन सदस्यीय बैठक में सबसे ज्यादा चर्चा केंद्रीय मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर हो रही है। इसमें उत्तर प्रदेश से लेकर केंद्रीय मंत्रिमंडल की विस्तार तक की बात शामिल है।
खासकर, पश्चिम बंगाल में भाजपा से तृणमूल कांग्रेस में मुकुल रॉय की वापसी ने केंद्रीय नेतृत्व को सोचने के लिए विवश कर दिया है। भाजपा नेतृत्व को इस बात की चिंता सता रही कि पद की आस में कांग्रेस या अन्य प्रमुख दलों से आए बड़े नेताओं को सही समय पर खुश नहीं किया गया तो मुकुल राय जैसी घटनाएं और भी देखने को मिल सकती हैं। सबसे बड़ी चिंता मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के समायोजन को लेकर है। साथ ही उत्तर प्रदेश के आगामी वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जितिन प्रसाद को लेकर भी भाजपा पर दबाव है। प्रसाद को यूपी मंत्रिमंडल में तो सिंधिया को केंद्रीय मंत्रिमंडल में जगह देने की बात कही जा रही है।
वहीं सूत्रों का कहना है कि तीनों दिग्गज नेताओं की हुई बैठक में सरकार की छवि को राजनीतिक, सामाजिक व सियासी रूप से दुरूस्त करने को लेकर मंथन हुआ। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव ही नहीं, बल्कि अगले वर्ष के शुरूआत में होने वाले पांचों राज्यों के चुनाव पहले करने की रणनीति पर चर्चा की गई। इसके लिए सरकार के स्तर पर कुछ आम जनता को खुश करने वाली घोषणाएं और संगठन स्तर पर नीचे तक कार्यकर्ताओं को काम सौंपे जाने को लेकर रणनीतिक मंथन हुआ।
सूत्र बताते हैं कि मोदी, शाह और नड्डा की बैठक में अव्वल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ तीनों नेताओं की अलग-अलग हुई बैठक पर चर्चा की शुरूआत हुई। तीनों नेताओं ने सियासी रूप से देश के सबसे बड़े सूबे में सभी को साथ लेकर चलने के लिए ज्यादा से ज्यादा कदम उठाने पर जोर दिया।
इसके अलावा, तीनो दिग्गज नेताओं की बैठक में कोरोना के बाद उपजे हालात को लेकर सरकार की गंभीरता पर गहन मंथन हुआ। सूत्रों के मुताबिक टीकाकरण अभियान पर पूरा जोर दिया जाएगा। इस अभियान को सरकार की उपलब्धियों के रूप में राजनीतिक, सामाजिक और प्रशासनिक स्तर पर प्रचारित भी किए जाने को लेकर चर्चा हुई। बैठक में कांग्रेस नेतृत्व के पंजाब और राजस्थान के सियासी घटनाक्रम पर भी मंथन किया गया। राजस्थान में कांग्रेस के असंतुष्ट नेता सचिन पायलट अपने कुछ विधायकों के साथ आज दिल्ली में ही मौजूद है।
साभार – हिस
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