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गांधी-नेहरू-पटेल की हिंदुओं के साथ की गईं क्रूरताएं

श्याम सुंदर पोद्दार (लेखक एक आलोचक और स्तंभकार हैं) 

गांधी-नेहरू-पटेल ने हिंदू समाज के साथ बड़ा ही क्रूर व्यवहार किया। 1945 की केंद्रीय विधानसभा के निर्वाचन में हिंदू समाज से यह प्रतिज्ञा कर वोट लिया कि हम मुस्लिम लीग की पाकिस्तान मांग कभी भी स्वीकार नहीं करेंगे। गांधी जी की लाश पर ही यह सम्भव हो सकेगा। हिंदू समाज ने उनकी इस प्रतिज्ञा पर पूर्ण विश्वास किया और कांग्रेस को अपना शतप्रतिशत समर्थन दिया। हिंदू समाज के कांग्रेस को इस व्यापक समर्थन के चलते केंद्रीय धारासभा की 102 सीटों में उसे 58 सीटें मिलीं और वह केंद्र में सक्ता की हक़दार बन गयी। पर गांधी-नेहरू-पटेल ने हिंदू समाज के साथ विश्वासघात किया तथा मुस्लिम लीग की मांग मानते हुए देश के बंटवारे व पाकिस्तान की मांग को स्वीकृति दे दी। कांग्रेसी नेता जानते थे 1952 का चुनाव वे हिंदू समाज के साथ किए इस विश्वासघात के चलते हिंदू महासभा से हार जाएँगे। नेहरू-पटेल ने हिंदू महासभा व इसके नेताओं व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को कुचल कर रख दिया। यह बात कितनी हास्यास्पद है कि पटेल गांधी हत्या के सन्दर्भ में गांधी हत्या के 27 दिन बाद 27 फ़रवरी 1947 को नेहरू के पत्र के उत्तर में लिखते हैं, गांधी हत्या में मात्र 10 लोग संलग्न हैं। उनमें से आठ को हिरासत में ले लिया गया है। इस जघन्य कार्य में और कोई षडयंत्र नहीं है, किन्तु 60 हज़ार हिन्दु महासभा के कार्यकर्ता व हिन्दु महासभा के लगभग सभी शीर्षस्थ नेता वर्षों तक जेल में डाल दिए गए। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को प्रतिबंधित कर दिया गया तथा इसके 25000 कार्यकर्ताओं को वर्षों तक जेल में डाल दिया, क्योंकि गांधी हत्या में ये संलग्न है। वहीं दूसरी तरफ़ तरफ़ देश का विघटन करने वाली मुस्लिम लीग पार्टी को केरल छोड़, सम्पूर्ण भारत में कांग्रेस में मिला दिया गया। मुस्लिम लीग के नेताओं को मंत्री पद दिए गए,राज्यपाल बनाया गया,राजदूत बनाए गए। जो लोग कहते थे, हमारा धर्म हमें काफिर हिंदुओं के साथ रहने की इजाज़त नहीं देता। हमें देश का बंटवारा करके हमारे लिए मुस्लिम होमलैंड पाकिस्तान चाहिए। देश के शतप्रतिशत मुसलमानों ने मुस्लिम लीग को 1945 के केंद्रीय विधानसभा के चुनाव में वोट देकर 30 मुस्लिम सुरक्षित सीटों में सभी 30 सीट जितवायी। देश में मुसलमानों की संख्या 23 प्रतिशत थी, 30 प्रतिशत हिंदुस्तान की ज़मीन बंटवारे में लेकर पाकिस्तान का निर्माण करवाया। ये कांग्रेस को वोट देकर 1952 में उसे विजयी बनायेंगे, इस उद्देश्य से उन्हें यहां रख दिया। वहीं दूसरी तरफ़ नोवाखाली क़त्लेआम के समय जिन्ना ने घोषणा की थी, हमारे पाकिस्तान में हिंदुओं के लिए कोई जगह नहीं होगी। यदि हिन्दु वहां रहेंग़े, तो इस्लामिक राज्य पाकिस्तान का उद्देश्य भी सार्थक नहीं होगा। तो आप एक ऐसी व्यवस्था क़ायम करें कि जनसंख्या की अदलाबदली शांति पूर्ण तरीक़े से हो जाए। ऐसी ब्यवस्था नहीं करने पर हम नोवाखाली के क़त्लेआम की तरह कार्यवाही करके हिंदुओं को पाकिस्तान से निकालेंगे। गांधी ने पाकिस्तान में रह गए हिंदुओं को जिन्ना के अनुयायियों के हाथों मरने छोड़ दिया, क्योंकि उजड़े हुए वे हिन्दु लोग कांग्रेस के लिए कभी वोट नहीं करेंगे। हिंदुओं को पाकिस्तान से भगाने के लिए जिन्ना के अनुयायियों ने 20 लाख हिन्दुओं का क़त्ल किया। जहां 1947 में पश्चिम पाकिस्तान में हिंदुओं की जनसंख्या 23 प्रतिशत थी, वहीं 1950 आते-आते दो  प्रतिशत पर पहुंचा दी।

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