-
साल में दो बार होता है शून्य छाया दिवस
हेमन्त कुमार तिवारी, भुवनेश्वर
ओडिशा की राजधानी में लोगों ने शुक्रवार को शून्य छाया दिवस (जीरो शैडो डे) का अनुभव किया. यह एक दुर्लभ खगोलीय घटना है, जिसे आम तौर पर साल में केवल दो बार देखा जाता है. शून्य छाया, जिसका मतलब है कि किसी भी वस्तु की परछाई नहीं दिखेगी. यह तब होता है, जब आकाश में सूर्य अपने चरम पर होगा. इस दौरान किसी वस्तु या प्राणी की छाया नहीं बनेगी.
पठानी सामंत तारामंडल, भुवनेश्वर के उप निदेशक, शुभेंदु पटनायक ने घटना की व्याख्या की, जो सुबह 11.43 बजे शुरू हुई और 3 मिनट की अवधि तक जारी रही.
उन्होंने एक आभासी प्रेस कांफ्रेंस के माध्यम से कहा कि हमें घटना को देखने के लिए उपकरणों की आवश्यकता नहीं है. इसके लिए हम एक सफेद कागज का उपयोग कर सकते हैं. इसे समतल जमीन पर बोतल की तरह ऊर्ध्वाधर रूप में रख सकते हैं. इस दौरान इसकी छाया की गति का अध्ययन किया जा सकता है.
उन्होंने समझाया कि यह घटना तब होती है जब पृथ्वी सूर्य की चक्कर काटती हुई 23.5 डिग्री के कोण पर झुकी होती है. इस समय सूर्य का स्थान पृथ्वी के भूमध्य रेखा के 23.5° उत्तर से 23.5° दक्षिण तक जाता है. इस दौरान वे सभी स्थान जिनका अक्षांश सूर्य और भूमध्य रेखा के बीच के कोण के बराबर होता है, वहां शून्य छाया दिनों का अनुभव किया जायेगा.
21 दिसंबर से 21 जून के बीच उत्तर (उत्तरायण) में कर्क रेखा और दक्षिण में मकर रेखा (दक्षिणायन) की ओर सूर्य की गति के दौरान शून्य छाया दिवस पड़ता है.
दो दिनों के बीच कर्क रेखा और मकर रेखा के बीच के स्थान विशिष्ट दिनों में शून्य छाया दिवस देखते हैं.
ओडिशा में इस वर्ष लोग निम्नलिखित तिथियों पर शून्य छाया दिवस का अनुभव कर सकते हैं.
संबलपुर – 28 मई, सुबह 11.51 बजे और 15 जुलाई, दोपहर 12 बजे
बुर्ला – 28 मई, सुबह 11.52 बजे, 15 जुलाई, दोपहर 12 बजे
राउरकेला – 2 जून, सुबह 11.48 बजे, 10 जुलाई, सुबह 11.56 बजे
बलांगीर 23 मई, सुबह 11.54 बजे, 20 जुलाई, दोपहर 12.04 बजे
बारीपदा 31 मई, 11.41 पूर्वाह्न, 12 जुलाई, 11.49 पूर्वाह्न