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मुख्यमंत्री ने दिए कठोर फैसले के संकेत
चंडीगढ़, पंजाब में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अब रात्रि कर्फ्यू रात 9 बजे से सुबह 5 बजे तक करने के आदेश दिए हैं। अपनी सरकार की 4 वर्ष की उपलब्धियों पर गुरुवार को मीडिया को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि कोरोना के मामलों को लेकर सरकार में गंभीर चिंता है। हालांकि कोरोना के चलते राज्य का काफी नुकसान हुआ है, परंतु सरकार की प्राथमिकता लोगों की सुरक्षा है। इसी के मद्देनजर शुक्रवार को पंजाब सरकार अपने मेडिकल विशेषज्ञों से बैठक करके कठोर फैसला लेने जा रही है।फिलहाल पंजाब के 9 जिलों में रात का कर्फ्यू लागू है, जो कि रात 11 बजे से लेकर सुबह 5 बजे तक होता था। अब यह रात्रि 9 बजे से सुबह 5 बजे तक करने का फैसला किया गया है। मुख्यमंत्री की चिंता अन्य विषयों के साथ कोरोना को लेकर थी। केंद्र सरकार के तीन कृषि अधिनियम पर मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार को तीनों कानून रद्द कर नए सिरे से बिल लाने चाहिए, जिनमें किसानों की राय भी ली जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब संविधान को अनेकों बार संशोधित किया जा सकता है तो अब संशोधन करने में क्या परेशानी है। अमरिंदर सिंह ने यह भी कहा कि पंजाब में फसलों की खरीद की प्रणाली किसानों और आढ़तियों के बढ़िया संबंधों के चलते बेहतर चल रही है। ऐसे में केंद्र सरकार को किसानों को फसल की सीधी रकम अदायगी वाला निर्णय लागू नहीं करना चाहिए। एक अन्य प्रश्न के जवाब में मुख्यमंत्री ने कहा कि फिलहाल पंजाब में उनकी पार्टी का मुकाबला किसी अन्य पार्टी से नहीं है।
कांग्रेस के विधायक और पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के साथ एक दिन पूर्व मुख्यमंत्री की हुई बैठक के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू चाय पर आए थे। वह सरकार का ही एक हिस्सा हैं। उनके बारे में कोई निर्णय लिया जा सकता है।
गौरतलब है कि नवजोत सिंह सिद्धू को उपमुख्यमंत्री अथवा किसी वजनदार विभाग का मंत्री बनाए जाने की चर्चाएं लगातार चल रही हैं। केंद्र सरकार द्वारा विभिन्न मामलों को अपने हाथ में लेने की बात पर पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा शक्तियों के केंद्रीयकरण से केंद्र और राज्य के संबंध खराब होंगे और संघवाद को भी इससे भारी खतरा होगा। मुख्यमंत्री ने पुरानी मतदान वाली बैलट बॉक्स प्रणाली को बेहतर बताते हुए कहा कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को अभी तक विश्व के अत्याधुनिक जापान इत्यादि जैसे देशों ने भी लागू नहीं किया है।
साभार -हिस