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राजनीतिक उठा-पटक के बीच पश्चिम बंगाल में खिलेगा कमल, ममता के हाथ लगेगी मायूसी…!!!

मुस्लिम महिलाएं मुसलमान पुरुषों को मिले चार विवाह से बहुत असुरक्षित महसूस करती हैं. उनके पढ़े-लिखे समूह को यह विश्वास हो गया है कि एक मात्र मोदी ही यूनीफ़ार्म सिविल क़ानून लॉ सकते हैं, तो चुपचाप घरवाले की इच्छा के विपरीत जाकर मोदी को वोट करेंगी.

श्याम सुंदर पोद्दार (राजनीतिक विश्लेषक)

पश्चिम बंगाल में बदलते राजनीतिक समीकरण रोज नये आयाम को गढ़ रहे हैं. दल-बदल की राजनीति अब भी जारी है और यह चुनाव की रोचकता को और बढ़ा रहा है. छात्र जीवन में मैं भी राजनीति से जुड़ा रहा. मैंने एमबीए की पढ़ायी पढ़ने के कारण प्रत्येक चुनाव पर एमबीए के छात्र जैसे मार्केट रीसर्च करते हैं, उसी पैटर्न पर मतदाताओं के व्यवहार को सामने रखकर अपने अलग ढंग से निर्वाचन का क्या परिणाम निकलेगा, उसकी समीक्षा 1984 से कर रहा हूं. मेरा आकलन आज तक 95 प्रतिशत चुनावों में सही निकला है. सबसे सटिक समीक्षा 2004 के लोकसभा चुनाव में सम्पूर्ण विश्व में मुझे स्वीकृति दिलवायी, जब मेरी घोषणा के हिसाब से सोनिया गांधी एक नम्बर स्थान पर आयीं व वाजपेयी दो नम्बर पर आए. मुझे बहुत बधाई संदेश मिले.

इस बार का पश्चिम बंगाल विधान सभा का चुनाव बड़ा संघर्ष पूर्ण लग रहा था. अब जैसे-जैसे लोग अपना मुंह खोलने लगे हैं, स्थिति साफ़ होते जा रही है. ममता बनर्जी ने प्रशांत किशोर के कहने से केजरीवाल की तरह  चुनाव के पहले स्वास्थ्य साथी योजना, 5 रुपये में भोजन, 10 लाख छात्रों को 10000 हज़ार रुपये देकर इतना लाभ तो ले लिया कि उसके हिंदू वोट भाजपा में एंटी इंकम्बेन्सी के नाम व ज़मीन पर मज़बूत भाजपा के सामने खिसक कर कमल फूल के पास नहीं जाएँगे. लोकसभा चुनाव में भाजपा 87000 बूथ में मात्र 20000 बूथ पर ही अपना बूथ एजेंट दे पायी थी. अब वह ज़मीन पर इतनी ताकतवर हो चुकी है एक लाख बूथ पर वह अपना एजेंट बना चुकी है. सीपीएम ने ब्रिगेड में सफल सभा कर अपने वोटों को भाजपा में जाने से रोक लिया है, पर ममता ने राज्य के 27 प्रतिशत मुस्लिम वोट में 23 प्रतिशत वोट लोकसभा के चुनाव में प्राप्त कर सीपीएम व कांग्रेस से मुर्शिदाबाद क़िले में 1-1 सीट छीन ली. उसने बड़ा खेल हो गया. सीपीएम ने धार्मिक  मुस्लिम नेता अब्बास सिद्दीक़ी के साथ समझौता करके ममता को मिलने वाले 23 प्रतिशत वोट में कम से कम 3 प्रतिशत इस गठबन्धन ने खो दिया.

मुस्लिम महिलाएं मुसलमान पुरुषों को मिले चार विवाह से बहुत असुरक्षित महसूस करती हैं. उनके पढ़े-लिखे समूह को यह विश्वास हो गया है कि एक मात्र मोदी ही यूनीफ़ार्म सिविल क़ानून लॉ सकते हैं, तो चुपचाप घरवाले की इच्छा के विपरीत जाकर मोदी को वोट करेंगी. कम से कम ममता 3 प्रतिशत वोट इस कारण से खोएंगी. यानी लोकसभा चुनाव की तुलना में टीएमसी का वोट 6 प्रतिशत घटेगा. 3 प्रतिशत भाजपा में जाएगा और 3 प्रतिशत अब्बास सिद्दीक़ी सीपीएम के मोर्चे में जाएगा. यानी टीएमसी किसी भी हालत में 37 प्रतिशत से अधिक वोट नहीं पाएगी. वहीं भाजपा 40 प्रतिशत से बढ़ कर 43 प्रतिशत पर पहुंच जाएगी. सीपीएम-कांग्रेस-अब्बास 15 प्रतिशत पर पहुंच जाएगा. भाजपा 43 प्रतिशत, टीएमसी 37 प्रतिशत, सीपीएम गठबंधन 15 प्रतिशत मत को सीट में बदलते हैं, तो भाजपा को 121 लोकसभा की बढ़त से आगे 180 सीट मिलने की सम्भावना है. सीपीएम गठबंधन को 12 के बजाय 27, टीएमसी को 76 सीट का नुक़सान होकर 85 सीट मिलने की सम्भावना है. 37 प्रतिशत से 84 प्रतिशत वाले राज्य की 61 मुस्लिम सीट में ममता अधिकांश 45 सीट जितने में सफल होंगी, बाक़ी 16 सीट पर सीपीएम गठबंधन के जीतने की सम्भावना है.

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