आजकल मिम के नेता असद्दुदीन ओबैसी बहुत ज़ोर से यह बात स्थापित करने का प्रयास कर रहे हैं कि भारत में रहने वाले मुसलमान हजारों वर्ष से यहां रहते आए हैं। इसलिए यहां की हर चीज पर इनका अधिकार है। मिम के नेता ओवैसी जान-बूझकर एक सफेद झूठ को स्थापित करना चाहते हैं। हिंदुस्तान सिर्फ हिंदुओं का है। भारत में रहने वाला हर मुसलमान पाकिस्तानी है। वह यहां पर एक मेहमान की तरह रह रहा है। जिस दिन हिंदू चाहेंगे, उस दिन इस मेहमान को कह देंगे कि बहुत दिन यहां मेहमान बन कर रह लिये। अब आप अपने देस पाकिस्तान जाएं। ये यह दुष्प्रचार कर रहे हैं कि अंग्रेजों ने फूट डालो व राज करो की नीति के अनुसार हिंदू मुसलमानों में फूट डलवायी और पाकिस्तान बना दिया। वह भी मुसलमानों की इच्छा के विरुद्ध। यहां रहने वाला हिंदू कैसे भूल सकता है कि इलाहाबाद में सन् 1930 में अनुष्ठित सर मोहम्मद इकबाल ने पश्चिम दिशा में मुस्लिम बहुसंख्यक राज्य यथा पंजाब, सिंध, बलूचिस्तान, फ्रंटीयर प्राविन्स, कश्मीर को लेकर ब्रिटिश राज के अंतर्गत या स्वतंत्र रूप में इस्लामिक राज्य का निर्माण करने का प्रस्ताव पास किया था।
फिर 1940 में लाहौर में मुस्लिम लीग के सम्मेलन में प्रसिद्ध लाहौर प्रस्ताव पास किया गया, जिसमें पश्चिम के अलावा पूर्व में बंगाल को भी जोड़ दिया गया। फिर 1945 में सेंट्रल लेजिस्लेटिव एसेंबली की 30 मुसलमानों के लिए सुरक्षित सीट यह कह कर जीती कि हम काफिर हिंदुओं के साथ नहीं रह सकते। हमारा इस्लाम धर्म इन काफिरों के साथ रहने की इजाजत नहीं देता। फिर 1946 में 16 अगस्त को ग्रेट कोलकाता किलिंग आरम्भ की। फिर अक्टूबर में नोआखालि में हिंदुओं की हत्या का चक्र दो महीने तक चला। इसके पश्चात जिन्ना के इस स्लोगन का पूरा साथ दिया “आई विल डेस्ट्राय इंडिया ऑर आई विल स्प्लिट इंडिया” (I will destroy India or I will split India).
पूरे हिंदुस्तान में कत्ल का कारोबार चलाया तथा पाकिस्तान का निर्माण गांधी की लाश पर न करके 20 लाख हिंदुओं की लाश पर किया। इनकी आबादी 23 प्रतिशत थी, लेकिन हिंदुस्तान की 30 प्रतिशत जमीन ले गए।
आज के हिंदुस्तान का कोई भी मुसलमान कह नहीं सकता कि हमारे बाप-दादा ने पाकिस्तान निर्माण का विरोध किया था। एकीकृत हिंदुस्तान के 93 प्रतिशत लोगों ने पाकिस्तान निर्माण के समर्थन में वोट दिया तथा खंडित हिंदुस्तान के 100 प्रतिशत लोगों ने पाकिस्तान के निर्माण के समर्थन में वोट दिया। जिन 7 प्रतिशत मुसलमानों ने पाकिस्तान निर्माण का विरोध किया, वे आज के पाकिस्तान के सिंध, पंजाब व फ्रंटियर प्रॉविन्स के लोग थे। पर कितनी निर्लज्जतापूर्वक बात है कि यह पाकिस्तानी बने मुसलमान इस्लामिक पाकिस्तान बन जाने के बाद भी काफिरों के देश में रहते हैं, जो अपने पाकिस्तान नहीं गए.
(लेखक हिंदू महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष हैं।)