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दो करोड़ की ठगी के मामले में ठेकेदार दिल्ला में पकड़ाया, अदालत ने जेल भेजा

भुवनेश्वर. सीपीडब्ल्यूडी में ठेकेदारी का काम दिलाने के लिए दिल्ली स्थित ज्योति इंटरप्राइजेज के मालिक ठेकेदार संजय अग्रवाल ने ओडिशा के एक सहयोगी ठेकेदार से अग्रिम तीन करोड़ की राशि लेकर उन्हें काम देने का आश्वासन तो दे दिया, लेकिन राशि पाने के बाद उन्होंने काम कराने के लिए अपने सहयोगी ठेकेदार को कोई कागजात नहीं सोंपे. नए ठेकेदार को झूठा दिलासा देते हुए करीब दो साल तक झुलाए रखा. उसके बाद दूसरे ठेकेदार की ओर से दवाब डाले जाने पर संजय ने एक करोड़ की राशि लौटायी, बाकी शेष राशि देने का आश्वासन देकर मामले को टाल दिया. इसके पश्चात फोन करने पर ओरोपी ठेकेदार संजय अग्रवाल न तो फोन उठाता था और न ही उस सहयोगी ठेकेदार के मेसैज का जवाब  देता था. उसके इस व्यबहार से दूसरे ठेकेदार अपने आपको ठगे जाने का महशूस कर दिल्ली में बैठे ठेकेदार संजय अग्रवाल के खिलाफ स्थानीय खंडगिरि थाने में शिकायत दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस सक्रिय हुई और आरोपी ठेकेदार संजय अग्रवाल के खिलाफ कानूनी कारवाई शुरू की, लेकिन दिल्ली में बैठे संजय अग्रवाल पकड़ में नहीं आ रहा था. पहले ओडिशा पुलिस को यह कहा गया कि संजय दिल्ली में नहीं है. बाद में जब पुलिस उनके आपार्टमेंट तक पहुंची तो पुलिस से बचने के लिए संजय वहां से भाग गया. जब ओडिशा पुलिस को लगा कि स्थानीय पुलिस भी संजय के साथ मिली हुई है, तब राज्य पुलिस अपनी रणनीति तैयार करते हुए दिल्ली पुलिस को बिना कोई सूचना देते हुए संजय अग्रवाल के घर के बाहर प्रतिक्षा की. जब संजय वहां पहुंचा तो उसे पकड़कर स्थानीय कोर्ट में पेश कर दिया. फिर उसे हवाई जहाज से भुवनेश्वर लाई. भुवनेश्वर खंडगिरि थाने में पूछताछ व कागजात जांच का काम हो जाने के बाद संजय को शुक्रवार को कोर्ट चलान किया गया, जहां से मजिस्ट्रेट ने उसे झारपड़ा जेल भेज दिया है. पूलिस सूत्रों से मिली सूचना के मुताबिक संजय सीपीडब्ल्यूडी के कई निर्माण काम का ठेका ले रखा है. दिल्ली के अलावा कोलकात्ता, छत्तीसगढ़, ओडिशा में उसके कई निर्माण काम जारी है. हाल ही में उन्हें कोलकात्ता के एक सरकारी छात्रावास का निर्माण काम के लिए 3 करोड़ रुपये का ठेका मिला था, लेकिन यह काम समय पर पूरा नहीं हुआ. 2019 को संजय अग्रवाल जब भुवनेश्वर आए तो स्थानीय फायर स्टेशन के पास एक ठेकेदार से मिले थे. संजय उन्हें कोलाकात्ता छात्रावास का काम करने के लिए कहा था. तब उन्होंने कहा था कि जब काम पूरा हो जाएगा. नए ठेकेदार को करोड़ों का फायदा होने वाला है. यह बताकर संजय ठेकेदार से तीन करोड रुपये ले गया था, लेकिन उसके बाद उसका ओर कोई अता-पता नहीं मिला. इस बीच में वह एक बार नए ठेकेदार को एक करोड़ रुपये देकर भाग गया था. जब भी पुलिस दिल्ली जाती थी, वह किसी न किसी तरह से भागने में सफल रहता था.

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