2017 में पृथक गोरखालैंड की मांग पर पहाड़ को 104 दिनों तक बंधक बनाकर रखने वाले विमल गुरुंग और उनके समर्थकों के खिलाफ राज्य सरकार ने देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने की धाराओं के तहत मामले दर्ज किए थे। लेकिन करीब ढाई सालों तक अंडरग्राउंड रहने के बाद कुछ महीनों पहले अचानक विमल गुरुंग कोलकाता पहुंचे और भारतीय जनता पार्टी का साथ छोड़कर ममता बनर्जी का समर्थन करने की घोषणा कर दी। 2019 के लोकसभा चुनाव में पहाड़ पर जनाधार गवां चुके तृणमूल कांग्रेस हर हाल में विधानसभा चुनाव में अपना वर्चस्व स्थापित करने की जी तोड़ कोशिश कर रही है। विमल गुरुंग का गोरखा समुदाय के बीच अच्छा खासा प्रभाव है और उन्होंने ममता बनर्जी के पक्ष में भारी मात्रा में मतदान कराने का आश्वासन दिया है। उसके पहले उनके खिलाफ लंबित पड़े सारे मामलों को वापस लेकर राज्य सरकार ने मास्टर स्ट्रोक खेलने की कोशिश की है।
राज्य सचिवालय सूत्रों ने बताया है कि जिला पुलिस को न्यायालयों में विमल गुरुंग के खिलाफ लंबित सारे मामले वापस लेने का आवेदन करने के निर्देश दे दिए गए हैं।
साभार-हिस
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