नई दिल्ली. अयोध्या में बनने वाला भगवान श्री राम का भव्य-दिव्य मंदिर भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान का एक प्रमुख केंद्र बनेगा। यह एक और मंदिर नहीं अपितु, संपूर्ण भारत की एकात्मता व देशवासियों में रामत्व के विकास का एक आधार स्तंभ भी बनेगा। “श्री राम जन्मभूमि मंदिर नव निर्माण: भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान में एक महत्वपूर्ण कदम” विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए विश्व हिंदू परिषद के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री विनोद बंसल ने यह भी कहा कि राम मंदिर निधि समर्पण अभियान देश के लगभग 65 करोड राम भक्तों को मंदिर से सीधा जोड़कर उनके अंदर भगवान श्रीराम के जीवनादर्श और रामराज्य की प्रति प्रेरणा जागृत करेगा। यह मंदिर राष्ट्रीय पुनर्जागरण तथा भारतीय संस्कृति के पुनरोदय में भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। गत एक माह में मिले अभियान के अनुभवों के आधार पर यह लग रहा है कि या अभियान भारत के लिए नहीं अपितु विश्व भर के लोगों को एक नई दिशा और मानवीय जीवन मूल्यों के प्रसार के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। सभी लोगों को अधिकाधिक संख्या में अधिक से अधिक समय लगा कर अभियान के शेष बचे 14 दिनों को राम-काज हित समर्पित करना चाहिए।
दक्षिणी दिल्ली के आर्यसमाज डिफेंस कॉलोनी में हुए इस कार्यक्रम की भूमिका प्रस्तुत करते हुए राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सह जिला कार्यवाह व जिला अभियान प्रमुख श्री मनीष गुप्ता ने कहा कि हम शेष बचे 2 सप्ताह के अंदर अपने लाजपत जिले के कुल मिलाकर सवा लाख घरों में से किसी को भी इस पुण्य कार्य से वंचित नहीं होने रहने देंगे। दर्जनों टोलियां क्षेत्र में काम कर रही हैं और घर घर जाकर लोगों से उनकी इच्छा अनुसार समर्पण प्राप्त कर रही हैं। अब हम सबका दायित्व है कि बचे हुए लोगों तक शीघ्र अति शीघ्र पहुंचकर इस पुण्य कार्य में सहयोगी बने और भगवान श्री राम की कृपा के पात्र बने।
राष्ट्रीय संत संघ लाजपत जिले के विशेष संपर्क विभाग के जिला प्रमुख श्री अजीत कुमार ने कहा कि यहां उपस्थित प्रबुद्ध वर्ग निश्चय ही अपने समय का सदुपयोग करना जानता है।भगवान श्रीराम 14 वर्ष के लिए जन कल्याण हेतु वनवास जा सकते हैं तो क्या हम 14 दिन के लिए भी घर में रह कर गली गली नहीं जा सकते! अभियान में अब और गति आएगी।
कार्यक्रम में प्रांत सम्पर्क प्रमुख श्री अशोक जी, अभियान के जिला आईटी प्रमुख श्री जनमेजय सिंह व समाज सेवी सम्मी तलवार, मनोज चौधरी सहित जिले की अनेक सामाजिक धार्मिक व सांस्कृतिक संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित थे।