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दो दशक बाद प्रशासन की नींद खुली, पहले दिन 50 घर तोड़े गये
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तीन प्लाटून पुलिस फोर्स तैनात
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पुलिस, वन एवं राजस्व विभाग की संयुक्त कार्रवाई
राजेश बिभार, संबलपुर
संबलपुर जिला के अंतरिम इलाकों में अतिक्रमण कर पिछले दो दशकों से गांव एवं मुहल्ला बनाते जा रहे झारखंडी अतिक्रमणकारियों को अंतत: बाहर निकालने का काम आरंभ किया गया है. दो दशकों के बाद जिला प्रशासन की नींद खुली और उसने उन अतिक्रमणकारियों को अन्यत्र स्थानांतरित किए जाने का प्रयास आरंभ किया है. पहले दिन नाकटीदेउल के लंडाकोट संरक्षित जंगल में निर्मित करीब 50 कच्चे मकानों को ध्वस्त किया गया है. पुलिस की इस कार्रवाई के बाद इलाके में तनाव पैदा हो गया है.
एहतियातन इलाके में तीन प्लाटून पुलिस फोर्स तैनात किया गया है. गौरतलब है कि पिछले कुछ वर्षों से झारखंड के लोग संबलपुर जिला के नाकटीदेउल, किसिंडा, लंडाकोट, रताखंडी एवं टिठेइदर इलाके में आकर बस गए हैं. उन्होंने इलाके के करीब 5 सौ एकड़ जमीन पर उगे पेड़ एवं पौधों को काटकर खेती के लिए जमीन तैयार कर लिया और फिर अपने नाते-रिश्तेदारों को भी बुलाना आरंभ कर दिया. धीरे-धीरे इलाके के जंगलों में विरानी सा मंजर दिखाई देने लगा.
इलाके के वास्तविक लोग उनकी इस हरकतों का विरोध करते रहे, किन्तु अतिक्रमणकारियों ने उनकी कोई फिक्र करना उचित नहीं समझा. स्थानीय लोगों ने बार-बार जिला प्रशासन को मामले की जानकारी देना आरंभ की, किन्तु जिला प्रशासन को वहां पहुंचते-पहुंचते बीस साल का समय लग गया. तबतक उन्होंने इलाके के घने जंगलों में सुराख पैदा करने का काम कर दिया था. अंतत: प्रशासन वहां पहुंची और उन अतिक्रमणकारियों को खदेडऩे का काम आरंभ किया है. एडीशनल एसपी अमरेश पंडा के नेतृत्व में चलाए गए इस अभियान में रेढ़ाखोल एसडीपीओ हाड़ीबंधु स्वाईं, डीएफओ प्रदीप्त कुमार साहू, किसिंडा थाना प्रभारी चित्तरंजन नायक, जुजुमुरा थाना प्रभारी राजकुमार विश्वाल, उपजिलाधीश पदमनाभ बेहरा एवं तहसीलदार सुकांत कुमार नायक प्रमुख रूप से शामिल रहे. पुलिस की इस कार्रवाई का स्थानीय लोगों ने स्वागत किया है.
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