-
गलवान घाटी के बहादुरों का बलिदान बेकार नहीं जायेगा
-
उत्तरी सीमाओं पर चीन के रुख का दृढ़ता से जवाब दिया गया
नई दिल्ली, थलसेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने सेना दिवस पर कहा कि हमारे सैनिक हमारी ताकत हैं। बीता साल भारतीय सेना के लिए चुनौतियों से भरा था। इसी दौरान चीन ने एकतरफा रूप से एलएसी की यथास्थिति बदलने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि मैं आप सभी को विश्वास दिलाता हूं कि गलवान घाटी के बहादुरों का बलिदान बेकार नहीं जायेगा। कोई भी हमारे धैर्य की परीक्षा नहीं ले सकता। पिछले साल उत्तरी सीमाओं पर एक बड़ी चुनौती थी लेकिन चीन के रुख का दृढ़ता से जवाब दिया गया था।
सेना प्रमुख शुक्रवार को राजधानी दिल्ली में कैंट स्थित करियप्पा ग्राउंड में सेना दिवस परेड को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि आप सभी उत्तरी सीमाओं पर चीन के साथ चल रहे तनाव से अवगत हैं। सीमाओं पर एकतरफा स्थिति बदलने की साजिश के बारे में एक जोरदार जवाब दिया गया था। मैं देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि भारत चर्चाओं के माध्यम से विवादों को हल करने के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन गलवान के बहादुरों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि लगभग 300-400 आतंकवादी भारतीय सीमा में घुसपैठ करने के लिए सीमा के पास प्रशिक्षण शिविरों में बैठे हैं। पिछले वर्ष संघर्ष विराम उल्लंघन की संख्या में 44 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो पाकिस्तान के नापाक इरादों को दर्शाता है।
इससे पहले सैन्य बलों के प्रमुख सीडीएस जनरल बिपिन रावत, थलसेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे, नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह एवं वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया और तमाम वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने इंडिया गेट पर ‘अमर जवान ज्योति’ पर जवानों को श्रद्धांजलि दी। सेना प्रमुख ने दिल्ली छावनी के परेड ग्राउंड में पहुंचने पर सबसे पहले परेड का निरीक्षण किया। सैनिक दस्तों का निरीक्षण करते हुए अश्व दल के घोड़ों ने सर हिलाकर सेना प्रमुख का स्वागत किया। इसके बाद देश की रक्षा करते शहीद हुए जवानों को मरणोपरांत सेना मैडल से सम्मानित किया। यह सम्मान शहीदों की वीर नारियों ने प्राप्त किया। सेना दिवस पर नगा रेजिमेंट की तीसरी बटालियन को उनके उत्कृष्ट और मेधावी योगदान की मान्यता में सेनाध्यक्ष यूनिट प्रशस्ति पत्र से सम्मानित किया गया। यह पुरस्कार थल सेनाध्यक्ष जनरल मनोज मुकुंद नरवणे से नगा रेजिमेंट की तीसरी बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर कर्नल बिमलेश ने प्राप्त किया।
इसके बाद विभिन्न रेजिमेंट परेड में शामिल हुईं जिनमें जाट रेजिमेंट, गढ़वाल रेजिमेंट, महार रेजिमेंट, जम्मू-कश्मीर रेजिमेंट आदि प्रमुख रहीं। परेड की सलामी सेना प्रमुख ने ली। इसके बाद विभिन्न रक्षा उपकरणों का भी प्रदर्शन किया गया। डेयर डेविल्स की टीम ने मोटर साइकिल पर पिरामिड जैसी विभिन्न कलाबाजी का भी हैरतअंगेज प्रदर्शन किया। सेना दिवस की परेड में पहली बार विभिन्न तरीके के मानव रहित विदेशी और स्वदेशी ड्रोन से लक्ष्यों पर हमले का प्रदर्शन किया गया। इस अवसर पर भारतीय सेना में ड्रोन की नई यूनिट 75 के प्रारंभिक परिचालन की घोषणा की गई। करियप्पा परेड मैदान में स्वदेशी ड्रोन के आक्रामक और नज़दीकी प्रदर्शन के साथ भारतीय सेना ने आज खुद को युद्ध के क्षेत्र में मील का पत्थर साबित किया।
भारतीय सेना के इन सशस्त्र ड्रोनों के झुंड ने स्वदेशी षट्कोणीय और चतुष्कोणीय मुकाबला दिखाया। यह ड्रोन दुश्मन के इलाके में 50 किमी अंदर घुस सकते हैं और स्वतंत्र सैन्य कार्यों को अंजाम देकर लक्ष्यों को नष्ट कर सकते हैं। प्रत्येक ड्रोन भारतीय सेना को अपनी ताकत से मिशनों को अंजाम देने के लिए स्वायत्त और स्वतंत्र है। परेड स्थल पर टैंगो एक से लेकर टैंगो 12 तक लक्ष्य रखे गए थे जिन्हें ड्रोन ने ऑपरेशन के दौरान सटीक निशाना बनाकर अपने-अपने लक्ष्यों को नष्ट किया। इसके अलावा ड्रोन के जरिये दूर के क्षेत्रों में रसद, चिकित्सा आपूर्ति और लैंडिंग का भी प्रदर्शन किया गया। इन ड्रोंस के जरिये सेना ने अपनी बढ़ती लड़ाकू तकनीकी क्षमता को दिखाया।
साभार-हिन्दुस्थान समाचार