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कहीं लापरवाही पर भेंट न चढ़ जाये लॉकडाउन और शटडाउन की मेहनत

विनय श्रीवास्तव (स्वतंत्र पत्रकार)

कोरोना की अनदेखी करना बहुत महंगा साबित हो रहा है. शादी विवाह समरारोहों में लोग बेखौफ बिना मास्क घूम रहे हैं. गांवों में लोग मास्क और सामाजिक दूरी की कोई परवाह नहीं कर रहे हैं. यदि किसी को मास्क की उपयोगिता और कोरोना की कहर के बारे में समझाया जाए तो लोग समझाने वाले को ही समझा देते हैं. लोग कहते हैं कि यहां कोई कोरोना फोरोना नहीं है. बिहार और यूपी के मेरे इस दौरे पर तो यही देखने के लिए मिल रहा है. यह सत्य है कि गांवों में कोरोना का असर नहीं है, लेकिन इतनी लापरवाही उचित नहीं है. यहां तक कि जनता को ज्ञान देने वाले नेता खुद ही लापरवाही से घूम रहे हैं.

दूसरों को ज्ञान देना जितना आसान होता है, उतना ही मुश्किल होता है उस ज्ञान का स्वयं पालन करना. और यह भी सत्य है कि आजकल वही लोग अधिक ज्ञान बांट रहे हैं, जो उस ज्ञान का पालन स्वयं नहीं कर रहे हैं. कुछ राज्यों में कोरोना की स्थिति बेकाबू हो रही है. बेकाबू होते कोरोना पर नेताओं की मास्क और सामाजिक दूरी पर जनता के लिए नसीहत बरकरार है. ये अलग बात है कि ये की मास्क और सामाजिक दूरी पर जनता को नसीहत देने वाले नेता ही सबसे अधिक लापरवाही कर रहे हैं. चुनावी सभाओं में हजारों की भीड़ उमड़ रही है जहां पर नेताओं को उस वक्त कोरोना, मास्क और सामाजिक दूरी का कोई ख्याल नहीं हो रहा है. वे खुद बिना मास्क और सामाजिक दूरी की  चुनावी सभाओं को संबोधित कर रहे हैं. यहां तक वे बिना मास्क और सामाजिक दूरी की भिन्न भिन्न जगहों पर भ्रमण कर रहे हैं. जब ये लोग इतनी लापरवाही कर रहे हैं तो फिर जनता से सावधानी की उम्मीद और ज्ञान बांटने की क्या आवश्यकता है? जनता भी समझ रही है कि चुनाव के समय नेताओं को कोरोना और देश के नागरिकों की कोई ख़बर नहीं रहती है तो फिर ये लोग इतनी सावधानी क्यों बरतें? दिल्ली, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और राजस्थान में कोरोना फिर से कोहराम मचा रहा है. दिल्ली और जयपुर के हर गली मोहल्ले में कोरोना ने दस्तक दे दिया है. लॉक डाउन के बुरे दौर से निकल कर देश अनलॉक में है. सम्पूर्ण लॉक डाउन समाप्त हुए लगभग छह महीने गुजर चुके हैं. कुछ राज्यों में स्थिति के अनुसार रात्रि कर्फ्यू और धारा 144 लागू है. देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने और बढ़ती गरीबी तथा बेरोजगारी को रोकने के लिए सम्पूर्ण लॉक डाउन को हटाना भी बेहद आवश्यक भी था. लेकिन लॉक डाउन समाप्त होने के बाद से कोरोना पॉजिटिव केसों में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है. इस समय अपने देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या एक करोड़ के नजदीक पहुँचने वाली है, जबकि इससे मरने वालों की संख्या भी देखते ही देखते एक लाख चालीस हजार को पार कर चुका है.

ये आंकड़े बहुत भयावह है. मात्र कुछ महीने पहले ही हम अन्य देशों के मुकाबले बहुत बेहतर स्थिति में थे. लेकिन आज की तारीख में हम यह बात बिल्कुल नहीं बोल सकते हैं. कोरोना संक्रमितों के मामले में सिर्फ अमेरिका ही हमसे आगे हैं. यानी कोरोना संक्रमितों में हमलोग दुनिया में दुसरे स्थान पर हैं, जबकि इससे मौत के मामले में हमलोग दुनिया में तीसरे स्थान पर हैं. अमेरिका और ब्राजील ही दो ऐसे देश हैं जहाँ कोरोना से मरने वालों की संख्या भारत से अधिक है. अब वह दिन बहुत दूर नहीं दिखाई दे रहा है जब कोरोना से संक्रमितों की संख्या के मामले में भारत अमेरिका से भी आगे आ जायेगा. हमारे लिए संतोष की बात सिर्फ यही है कि कोरोना से ठीक होने वालों की संख्या में लगातार सुधार हो रहा है और दिन प्रतिदिन कोरोना टेस्टिंग की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. यह समय सरकार और नेताओं के भरोसे रहने का नहीं है. केंद्र सरकार या राज्य सरकारों को इसके रोकथाम के लिए जो भी कदम उठाना है वो उठा रहे हैं. अब हमें अपने स्तर पर अधिक सतर्क और सावधानी बरतनी होगी. लॉक डाउन के दौरान बरती गई सावधानी से भी अधिक सावधान और सतर्क अब रहने की आवश्यकता है. भीड़भाड़ वाले इलाके में जाने से जितना अधिक बच सकते हैं हमें बचना होगा. पब्लिक ट्रांसपोर्ट, सब्जी मंडी तथा अन्य भीड़ भाड़ वाले जगहों पर जाने से हमें बचना चाहिए. मास्क और सेनेटाइजर के बारे में तो यह गांठ बांध लें कि ये अब हमारे जीवन के अहम हिस्सा हैं. इनके बिना बाहर निकलना अपने और अपने परिवार के जीवन को जोखिम में डालने के समान है. इसलिए मास्क के बिना घर से बाहर निकलने की कल्पना भी ना करें. इससे संबंधित अन्य सावधानियां जैसे कि समय समय पर साबुन से हाथ धोना वगैरह भी  नियमित रूप से करते रहना है. अपनी इम्यून सिस्टम को मजबूत रखने के लिए खान पान पर विशेष ध्यान रखना है. लगातार योगाभ्यास से अपने शरीर को स्वास्थ्य रखने की कोशिश करनी है. जहां तक संभव हो सके हमें अंग्रेजी दवाइयों के इस्तेमाल से बचना चाहिए. क्योंकि ये हम सब जानते हैं कि अंग्रेजी दवाई एक बीमारी को ठीक करता है तो दूसरी बीमारी को जन्म दे देता है. अनलॉक के इस दौर में लोगों की लापरवाही अधिक बढ़ गई है. बिना मास्क और बिना सोशल डिस्टेंसिंग के लोग घूम फिर रहे हैं. शादी और अन्य समारोह स्थलों पर भी लोगों की लापरवाही साफ साफ देखी जा सकती है. इस समय यूपी और बिहार भ्रमण का अवसर प्राप्त हुआ है. लखनऊ के एक सप्ताह के प्रवास के दौरान यह देखने को मिला कि लोगों में कोरोना का कोई भय नहीं है. बिना मास्क और सामाजिक दूरी की लोग आराम से बाजारों और भीड़ भाड़ वाले जगहों पर घूम रहे हैं. यही हाल बिहार में देखा जा रहा है. शादी समारोहों में भी लोग ऐसे ही शामिल हो रहे हैं. अगर किसी को मास्क लगाने के बारे में समझाओ तो यही सुनने को मिल रहा है कि यहां कोई कोरोना फोरोना नहीं है. ऐसे लोगों से हमें स्वयं को सतर्क रखना है. लेकिन यह सब असावधानी की निशानी है. यह कोई नहीं जानता है कि भीड़ भाड़ में कौन इंसान किस बीमारी से ग्रसित है. इसलिए हमें दूसरों की असावधानी को नकार कर खुद सावधान रहना है. साथ ही नेताओं को चाहिए कि जनता को ज्ञान देने के बजाय वे स्वयं भी सावधानी बरतें. क्योंकि जब आप (नेताजी लोग) असावधानी करेते हैं तो जनता में इसका बुरा संदेश जाता है.

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