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उज्ज्वला योजना ने सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों का नेतृत्व किया- धर्मेंद्र प्रधान

नई दिल्ली. केंद्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि उज्ज्वला योजना ने सामाजिक-आर्थिक परिवर्तनों का नेतृत्व किया है। इसके अलावा भारत में महिला सशक्तिकरण के लिए स्थान को बढ़ाया है। इस योजना ने देश में एलपीजी कनेक्शनों की संख्या दोगुनी कर दी है और एलपीजी कवरेज 55 फीसदी से बढ़कर 98 फीसदी हो गया है। एसएटीएटी (सस्टेनेबल अल्टरनेटिव टुवर्ड्स अफोर्डेबल ट्रांसपोर्टेशन) पर उन्होंने कहा कि इसका उद्देश्य विकास के प्रयास के रूप में एक सतत वैकल्पिक सस्ता परिवहन प्रदान करना है, जो दोनों वाहन उपयोगकर्ताओं-किसानों और उद्यमियों को लाभान्वित करेगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह पहल कुशल नगरपालिका ठोस कचरा प्रबंधन और पराली जलने और कार्बन उत्सर्जन की वजह से शहरों में प्रदूषित हवा की समस्या से निपटने के लिए बहुत बड़ा वादा है। सीबीजी का उपयोग कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता को कम करने और किसानों की आय, ग्रामीण रोजगार और उद्यमशीलता को बढ़ाने के संबंध में प्रधानमंत्री के दृष्टिकोण को साकार करने में मदद करेगा। कृषि पर सार्थक ध्यान देने के साथ यह पूर्वी भारत के लिए अपार संभावनाएं रखता है। उन्होंने कहा कि सरकार ने गैस आधारित अर्थव्यवस्था की ओर जाने के दृष्टिकोण को साकार करने के लिए तेल और गैस संबंधित बुनियादी ढांचे के निर्माण में बड़े पैमाने पर 100 अरब डॉलर खर्च करने की परिकल्पना की है। केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि गैस अवसंरचना विकसित कर रहा है, जिसमें पाइपलाइन, एलएनजी टर्मिनल्स और सीजीजी नेटवर्क शामिल हैं। इसके अलावा 400 से अधिक जिलों में देश की 70 फीसदी आबादी को दायरे में लाने की क्षमता वाले सिटी गैस परियोजनाओं का विस्तार किया जा रहा है।

श्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस्पात उद्योग पर कहा कि यह देश की रीढ़ की हड्डी के रूप में सेवा करता है और हमारे देश में इस्पात एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि हम एक आधुनिक अर्थव्यवस्था का निर्माण करना चाहते हैं। भारतीय इस्पात क्षेत्र सभी घरेलू आवश्यकताओं को पूरा करना चाहता है और वैश्विक स्तर पर एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में उभर रहा है। उन्होंने कहा कि विश्व में इस्पात का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादन होने के बावजूद भारत की प्रतिव्यक्ति इस्पात की वार्षिक खपत 74.1 किलोग्राम है। यह वैश्विक औसत (224.5 किलोग्राम) का एक-तिहाई है। उन्होंने कहा कि भारत के लिए यह अपनी इस्पात की खपत को बढ़ाने और इस्पात के अधिकतम उपयोग जैसे, जीवन चक्र लागत में कमी और स्थायित्व में वृद्धि एवं अधिक पर्यावरणीय स्थिरता का लाभ उठाने का बेहतरीन अवसर है।

श्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि इस्पात मंत्रालय ने देश में इस्पात के उपयोग को उचित बढ़ावा देने के लिए एक सहयोगी ब्रांडिंग अभियान ‘इस्पाती इरादा’ शुरू किया है। इसका उद्देश्य एक उपयोग में आसान, पर्यावरण के अनुकूल, लागत-प्रभावी, सस्ती और मजबूती देने वाली सामग्री के रूप में इस्पात का फायदा उठाना है। उन्होंने कहा, ‘हम केंद्र सरकार के संगठनों द्वारा प्राथमिकता को अनिवार्य करके लौह और इस्पात के उत्पादों की घरेलू सोर्सिंग को बढ़ावा दे रहे हैं। इस डीएमआई एंड एसपी नीति के माध्यम से 20,000 करोड़ रुपये के स्टील के आयात से अब तक बचा गया है। हम इस क्षेत्र के लिए कच्चे माल की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए काम कर रहे है। हम कोयले के आयात को कम करने लिए अपने स्रोतों में विविधता ला रहे हैं। हम स्टील स्क्रैप नीति लेकर आए हैं, जो विभिन्न स्रोतों और कई तरह के उत्पादों से उत्पन्न लौह स्क्रैप को वैज्ञानिक प्रसंस्करण और पुनर्चक्रण के लिए भारत में धातु स्क्रैपिंग केंद्रों की स्थापना को बढ़ावा देने के लिए एक ढांचा प्रदान करता है। पॉलिसी फ्रेमवर्क एक संगठित, सुरक्षित और पर्यावरण की दृष्टि से संग्रह, निराकरण और कतरन गतिविधियों के लिए मानक दिशा-निर्देश प्रदान करता है।’

श्री धर्मेंद्र प्रधान ने मर्चेंट्स चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के सदस्यों को तेल, गैस और इस्पात के क्षेत्रों में व्यापक अवसरों का लाभ उठाने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने कहा कि ‘लोकल के लिए वोकल हों’ और एक आत्मनिर्भर भारत की दृष्टि को साकार करने में योगदाने दें।

 

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