भुवनेश्वर. डॉ. मनमोहन वैद्य, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सह सरकार्यवाह ने भारतीय संस्कृति और परंपरा के लोकाचार को समझने और जानने की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि शिक्षकों को ‘भारत को मानो, भारत को जानो’ इस विषय को आगे आने वाली पीढ़ी के समक्ष रखना चाहिए. अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (एबीआरएसएम) के महिला संवर्ग की ऑनलाइन संगोष्ठी को संबोधित करते हुए उन्होंने इस बात पर बल दिया कि धार्मिक कर्मकांड व्यक्तिगत होते हैं और भारतीय जीवन दृष्टि अध्यात्म पर आधारित है. उन्होंने कहा कि भारत में लोग राष्ट्र हैं और हमारा सनातन धर्म सदियों से हमारे लोगों में एक जीवित इकाई के रूप में है. डॉ. वैद्य ने कहा कि हालांकि महिलाओं के प्रति भेदभाव और अस्पृश्यता जैसी कई कुप्रथाओं ने हमारे समाज को जकड़ लिया, लेकिन भारतीय मूल विचार महिलाओं और पुरुषों, दोनों में देवत्व है, ऐसा मानता है. डॉ. वैद्य ने कहा कि धर्म हमारे व्यवहार में आध्यात्मिकता की अभिव्यक्ति है. उन्होंने महिला शिक्षिकाओं को जीवन में भारतीय मूल्यों को लाने के लिए कहा और जीवन में सामाजिक पूँजी में अपना योगदान देने के लिए प्रेरित किया. डॉ. वैद्य ने हमारे दैनिक जीवन में धर्म के अनुकूलन आचरण के कई उदाहरण दिए. डॉ. वैद्य ने यह भी कहा कि शिक्षक इन मूल्यों के आचरण से, प्रत्यक्ष रुप से अपने छात्रों को प्रभावित कर सकते हैं. ऑनलाइन व्याख्यान में एबीआरएसएम अध्यक्ष प्रो. जेपी सिंघल, अ.भा. संगठन मंत्री महेंद्र कपूर, महासचिव शिवानंद सिंदनकेरा, अतिरिक्त महासचिव डॉ. निर्मला यादव ने भाग लिया. महिला संवर्ग के पदाधिकारी उपाध्यक्ष डॉ. कल्पना पांडेय, अतिरिक्त सचिव ममता डीके और महिला संवर्ग प्रभारी प्रियम्वदा सक्सेना संवर्ग प्रभारी भी उपस्थित थीं. सत्र का संचालन महिला विंग की सचिव डॉ. गीता भट्ट ने किया. ऑनलाइन सेमिनार में महिला संवर्ग की लगभग 150 महिला शिक्षिकाओं ने भाग लिया.
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