नई दिल्ली। भारत और रूस के बीच सास्कृतिक सबंधाें में प्रगाढ़ता लाने के उदेश्य से प्रतिष्ठित भारतीय विद्या भवन और मॉस्को स्थित ऋषि वशिष्ठ संस्थान (आरवीआई) के बीच शुक्रवार को यहां एक समझाैता किया गया। भारतीय विद्या भवन के निदेशक के शिवा प्रसाद और रूसी संस्थान के निदेशक दिमित्री माक्साकाेव ने इस समझाैते पर हस्ताक्षर किए।
समारोह का आयोजन यहां के भारतीय विद्या भवन के सभागार में किया गया। इस अवसर पर याेग वशिष्ठ पुस्तक के रूसी संस्करण का अनावरण भी किया गया। इस पुस्तक में भगवान राम और ऋषि वशिष्ठ के बीच आध्यात्मिक संवाद का वर्णन है। पुस्तक के रूसी संस्करण काे संस्थान के विद्या प्रकाशन ने प्रकाशित किया है। इस दाैरान भारतीय विद्या भवन के निदेशक प्रसाद ने भारत की प्राचीन भाषा संस्कृत काे बढ़ावा देने के लिए ऋषि वशिष्ठ संस्थान के कार्याें की सराहना करते हुए कहा कि भारतीय विद्या भवन उसके साथ हर तरह के सहयाेग बढ़ाने का इच्छुक है।
आरवीआई से जुड़े रूस के स्वामी विष्णुदेवानंद गिरिजी महाराज ने भारत के प्राचीन आध्यात्मिक धराेहराें की सराहना करते हुए भारतीय दर्शनशास्त्र काे पश्चिमी दर्शनशास्त्र से श्रेष्ठ बताया। उन्हाेंने कहा कि भारतीय दर्शन मानव जीवन से जुड़े हर पहलुओं के प्रश्नाें का जवाब देता है जबकि पश्चिमी दर्शन इस बारे में खामाेश है। उन्हाेंने भारतीय लाेगाें से अपनी श्रेष्ठ विरासताें काे संजाेकर रखने का आह्वान किया।
इस अवसर पर अपने संबाेधन में भारतीय विद्या भवन के उपाध्यक्ष और दिल्ली केंद्र के प्रमुख बनवारी लाल पुराेहित ने संस्थान की ओर से आरवीआई काे पूर्ण समर्थन देने का आश्वासन दिया और इस कार्यक्रम काे रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत की आगामी यात्रा की रूपरेखा बताया। पुराेहित पंजाब, तमिलनाडु, असम और मेघालय के राज्पाल रह चुके हैं।
समाराेह में नई दिल्ली स्थित रूसी दूतावास के संस्कृति, शिक्षा एवं खेल मामलों के अपर सचिव मिखाईल अंतसिफराेव, महामंडलेश्वर शाद्धा माता गिरी, महामंडलेश्वर चेतना माता गिरी समेत कई प्रमुख लोग उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि ऋषि वशिष्ठ संस्थान भारतीय दर्शनशास्त्र और भारतीय देवमूर्ति शिल्पकारी के संबध में संगाेष्ठियाें के अलावा भारत के साथ सांस्कृतिक आदान-प्रदान एवं शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभा रहा है।
साभार – हिस
