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पृथ्वी की सतह से आगे अंतरिक्ष की नई सीमाओं की ओर लगातार आगे बढ़ रहा भारत
नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को नई दिल्ली में एक कार्यक्रम के दौरान इसरो के पहले अंतरिक्ष उड़ान मिशन ’गगनयान’ का हिस्सा बनने वाले वायु सेना के चारों ग्रुप कैप्टन को सम्मानित किया। रक्षा मंत्री ने चारों गगन यात्रियों को देश के रत्न और राष्ट्रीय आकांक्षाओं का अग्रदूत बताया। उन्होंने कहा कि भारत अंतरिक्ष को केवल अनुसंधान के क्षेत्र के रूप में नहीं बल्कि कल की अर्थव्यवस्था, सुरक्षा, ऊर्जा और मानवता के भविष्य के रूप में देखता है।
रक्षा मंत्री ने ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला, ग्रुप कैप्टन पीबी नायर, ग्रुप कैप्टन अजीत कृष्णन और ग्रुप कैप्टन अंगद प्रताप को सम्मानित करने के बाद अंतरिक्ष में भारत की बढ़ती उपस्थिति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हम पृथ्वी की सतह से आगे अंतरिक्ष की नई सीमाओं की ओर लगातार आगे बढ़ रहे हैं। हम चंद्रमा से लेकर मंगल तक अपनी उपस्थिति दर्ज करा चुके हैं और आज हमारा देश गगनयान जैसे मिशनों के लिए पूरी तरह तैयार है। रक्षा मंत्री ने इस उपलब्धि को केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं बल्कि आत्मनिर्भर भारत की ओर एक बड़ा कदम बताया। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया की अग्रणी अंतरिक्ष शक्तियों में गर्व से ऊंचा स्थान रखता है।
उन्होंने कहा कि अंतरिक्ष कार्यक्रम केवल प्रयोगशालाओं और प्रक्षेपण यान तक ही सीमित नहीं है। यह हमारी राष्ट्रीय आकांक्षाओं और वैश्विक दृष्टिकोण का प्रतिबिंब है। चंद्रयान से लेकर मंगलयान तक हमने यह प्रदर्शित किया है कि सीमित संसाधनों के साथ भी असीमित इच्छाशक्ति सबसे चुनौतीपूर्ण लक्ष्यों को उल्लेखनीय उपलब्धियों में बदल सकती है। राजनाथ सिंह ने इस बात पर जोर दिया कि भारत अंतरिक्ष यात्रा में पीछे नहीं रह सकता। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में अंतरिक्ष खनन, गहन अंतरिक्ष अन्वेषण और ग्रहीय संसाधन मानव सभ्यता की दिशा को पुनर्परिभाषित करेंगे।
रक्षा मंत्री ने आगे कहा कि दुनिया एक ऐसे युग में प्रवेश कर चुकी है, जहां अंतरिक्ष अब केवल सैन्य शक्ति या तकनीकी कौशल का प्रतीक नहीं, बल्कि मानव सभ्यता की सामूहिक यात्रा में एक नया पड़ाव है। उन्होंने कहा कि भारत ने हमेशा दुनिया को ’वसुधैव कुटुम्बकम’ का संदेश दिया है और आज हमारे वैज्ञानिक और अंतरिक्ष यात्री इसी संदेश को नई ऊंचाइयों पर ले जा रहे हैं। सफल अंतरिक्ष मिशन के लिए ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला के दृढ़ संकल्प और साहस पर उन्होंने कहा कि ढाई साल का प्रशिक्षण मात्र ढाई महीने में पूरा करना उनकी असाधारण उपलब्धि, व्यक्तिगत समर्पण और भारतीय जनता की दृढ़ता का प्रतीक है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि हालांकि शुभांशु भारतीय वायु सेना की वर्दी पहनते हैं, लेकिन अंतरिक्ष में उनकी यात्रा केवल सशस्त्र बलों या भारत की ओर से नहीं, बल्कि समस्त मानवता के प्रतिनिधि के रूप में थी। इस ऐतिहासिक मिशन के माध्यम से नागरिक क्षेत्र में उनका योगदान इतिहास में सदैव अंकित रहेगा। अंतरिक्ष यात्रियों को शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार करने की आवश्यकता पर बल देते हुए राजनाथ सिंह ने इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उनकी यह असाधारण उपलब्धि केवल भारत का गौरव ही नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवता की प्रगति का प्रमाण है।
इस कार्यक्रम में ग्रुप कैप्टन शुक्ला ने एक्सिओम मिशन 4 के तहत अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन की यात्रा के अपने असाधारण अनुभव को साझा किया। सम्मान समारोह के दौरान चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान और वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह भी उपस्थित थे।
साभार – हिस