नई दिल्ली। केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण और ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में गुरुवार को एक उच्चस्तरीय बैठक हुई, जिसमें केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी एवं केंद्रीय मंत्री एच.डी. कुमारस्वामी सहित कर्नाटक के सांसद तथा विभिन्न मंत्रालयों के अधिकारी उपस्थित रहे। बैठक में सुपारी उत्पादक किसानों की भलाई और उनकी समस्याओं के समाधान से संबंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई। इस दौरान शिवराज सिंह ने कहा कि किसानों के हित सुरक्षित रहेंगे और वे स्वयं कर्नाटक का दौरा करके स्थिति का जायजा लेंगे। सुपारी पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की रिपोर्ट को लेकर चर्चा करते हुए केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि एक रिपोर्ट से कर्नाटक की सुपारी को लेकर कैंसरजन्य होने संबंधी कुछ भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो गई है। उन्होंने कहा कि सुपारी को लेकर इस रिपोर्ट से उत्पन्न भ्रांतियों को दूर करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के वैज्ञानिकों की टीम परीक्षण कर रही है। उन्होंने बैठक में टीम को जल्द रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया।
शिवराज सिंह ने कहा कि भारत में प्राचीन काल से लोग सुपारी खाते आ रहे हैं। हमारे यहां हर मंगल कार्यों में सुपारी का उपयोग होता है। शिवराज सिंह ने कहा कि एरोलिफ जैसी बीमारी, जो सुपारी के वृक्षों को नष्ट कर देती है, उसके नियंत्रण के लिए वैज्ञानिकों की टीम काम कर रही है। साथ ही, क्लीन प्लांट उपलब्ध कराने पर भी चर्चा हुई है। शिवराज सिंह ने कहा कि वायरस के कारण सुपारी के किसानों को हुए नुकसान की भरपाई के विषय पर भी अधिकारियों को गंभीरता और शीघ्रता से काम करने के निर्देश दिए गए हैं। बैठक में सुपारी के अवैध आयात, नमी की समस्या तथा छोटी-बड़ी सुपारी के दामों में अंतर जैसे अन्य मुद्दों पर भी विस्तार से बातचीत की गई। सभी मुद्दों का समयबद्ध समाधान निकाला जाएगा और किसानों तथा सुपारी से जुड़े सहकारिता क्षेत्र के हित पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे।
कृषि मंत्री शिवराज सिंह ने यह भी कहा कि सुपारी एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक फसल है, जिसे भारत में सभी धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक अनुष्ठानों में स्थान दिया जाता है। उन्होंने कहा कि सुपारी में मौजूद अनेक एल्कलॉइड के कारण इसका उपयोग आयुर्वेदिक और पशु चिकित्सा औषधियों में भी किया जाता है। उन्होंने कहा कि वे स्वयं वैज्ञानिकों व विशेषज्ञों की टीम के साथ कर्नाटक का दौरा करेंगे और स्थिति का जायजा लेते हुए सुपारी उत्पादन के विकास को लेकर आगे की रूपरेखा तय करेंगे।
साभार – हिस
