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ओडिशा और छत्तीसगढ़ में आयोजन विवादों में घिरा
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छत्तीसगढ़ के कांग्रेस विधायक चंद्रदेव राय ने फेसबुक पोस्ट के जरिए सवाल किया कि “छत्तीसगढ़ में बिहार दिवस क्यों मनाया जा रहा है?

इण्डो एशिया टाइम्स ब्यूरो, नई दिल्ली।
भाजपा शासित राज्यों में बिहार दिवस आयोजित समारोह को लेकर राजनीतिक और सामाजिक तौर पर विवाद खड़ा हो गया है। छत्तीसगढ़ और ओडिशा में आयोजित कार्यक्रमों पर सवाल उठाए जा रहे हैं।
छत्तीसगढ़ के कांग्रेस विधायक चंद्रदेव राय ने फेसबुक पोस्ट के जरिए सवाल किया कि “छत्तीसगढ़ में बिहार दिवस क्यों मनाया जा रहा है? क्या बिहार में छत्तीसगढ़ दिवस मनाते हैं?” उनके इस बयान पर सोशल मीडिया पर तीखी बहस छिड़ गई, जिसमें खबर लिखे जाने तक 920 लोगों ने अपने विचार व्यक्त किए। वहीं, ओडिशा में राजभवन में आयोजित बिहार दिवस समारोह में स्थानीय बिहारी समुदाय की अनदेखी को लेकर असंतोष फैल गया है।

विधायक के बयान पर बवाल
छत्तीसगढ़ में बिहार दिवस का आयोजन किए जाने पर कांग्रेस विधायक चंद्रदेव राय ने सवाल खड़े किए। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में तंज कसते हुए कहा कि “क्या बिहार में छत्तीसगढ़ दिवस मनाया जाता है?” उनके इस बयान के बाद सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई। कुछ लोगों ने इसे सकारात्मक पहल बताया, जबकि कुछ ने इसे गैरजरूरी आयोजन करार दिया। राय के इस बयान के बाद भाजपा समर्थकों ने इसे एक व्यापक संस्कृति को जोड़ने वाला कदम बताया, जबकि कांग्रेस समर्थकों ने इसे भाजपा सरकार की राजनीति करार दिया।

ओडिशा में राजभवन के आयोजन पर क्यों हुआ विवाद विवाद ?
खबर है कि ओडिशा में राजभवन द्वारा आयोजित बिहार दिवस समारोह में स्थानीय बिहारी समुदाय की अनदेखी की गई, जिससे समाज में नाराजगी फैल गई है। बिहार दिवस के इस आयोजन में न तो ओडिशा में रहने वाले बिहारी सामाजिक संगठनों के किसी विशिष्ट व्यक्ति को मंच पर स्थान मिला और न ही पहली पंक्ति में बैठने का अवसर दिया गया।

सांस्कृतिक कार्यक्रमों की बात करें तो इनमें बिहार की बजाय ओड़िआ संस्कृति की झलक देखने को मिली। आयोजकों की तैयारी की कमी के कारण बिहार पर आधारित सांस्कृतिक कार्यक्रम इतनी संख्या में नहीं थे कि सांस्कृतिक कार्यक्रम के लिए आयोजित समय को पूरा किया जा सके। मजबूरी में अन्य भाषाओं के कार्यक्रम शामिल करने पड़े। इससे बिहारी समाज में रोष बढ़ गया है।

राजभवन ने अंतिम क्षण में निमंत्रण वापस लिया
राजभवन ने बिहार दिवस के लिए आमंत्रित कुछ संगठनों का निमंत्रण अंतिम क्षण में रद्द कर दिया, जिससे असंतोष और बढ़ गया। खबर है कि भुवनेश्वर में बिहार समाज के प्रबुद्ध लोगों के द्वारा संचालित तथा पंजीकृत संस्था हिंदी विकास मंच को समारोह से 24 घंटे पहले सूचित कर दिया गया कि उनका निमंत्रण वापस लिया जा रहा है। इसके पीछे सुरक्षा कारणों का हवाला दिया गया। हालांकि, बिहारी समुदाय के लोगों ने सवाल उठाया कि हिंदी विकास मंच जैसे संगठन से राजभवन को अचानक असुरक्षा क्यों महसूस होने लगी?
ग्रुप फोटोग्राफी का कार्यक्रम भी रद्द
इतना ही नहीं बिहार समुदाय के लोगों के लिए राज्यपाल के साथ एक सामूहिक फोटोग्राफी का कार्यक्रम तय किया गया था, जिसे अंतिम समय में रद्द कर दिया गया। इस फैसले से पहली बार राजभवन पहुंचे बिहार समाज के लोग निराश हो गए। बिहार दिवस के आयोजन को लेकर उठे सवालों पर अभी तक ओडिशा राजभवन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई थी।
कांग्रेस ने भाजपा पर साधा निशाना, बिहार चुनाव से जोड़कर उठाए सवाल
कांग्रेस ने भाजपा द्वारा छत्तीसगढ़ और ओडिशा में बिहार दिवस मनाने को लेकर तीखा हमला बोला है। कांग्रेस नेताओं ने सवाल उठाया कि भाजपा बिहार चुनाव को ध्यान में रखते हुए अन्य राज्यों में इस तरह के आयोजन कर रही है, लेकिन इसका कोई व्यावहारिक लाभ नहीं होगा क्योंकि बिहार की जनता ही अपने भविष्य का फैसला करेगी। कांग्रेस प्रवक्ताओं ने आरोप लगाया कि भाजपा केवल राजनीतिक लाभ के लिए इस तरह के कार्यक्रम आयोजित कर रही है, जबकि बिहार में वास्तविक विकास और जनहित के मुद्दे उपेक्षित हैं।
छत्तीसगढ़ और ओडिशा समेत भाजपा शासित राज्यों में हुए बिहार दिवस समारोह को कांग्रेस ने “राजनीतिक प्रचार” करार देते हुए कहा कि भाजपा को समझना चाहिए कि बिहार के लोग जागरूक हैं और वे वोट सिर्फ जमीनी हकीकत देखकर ही देंगे। कांग्रेस ने तंज कसते हुए कहा कि “बिहार का भविष्य बिहार की जनता तय करेगी, न कि छत्तीसगढ़ और ओडिशा और अन्य राज्यों में आयोजित कार्यक्रम।” पार्टी ने इसे भाजपा की “नए तरीके की चुनावी रणनीति” बताया, जिसमें बाहरी राज्यों से बिहार के मतदाताओं को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है।