नई दिल्ली। दिल्ली में अवैध रूप से रहने वाले बंग्लादेशी कूड़ा, साफ-सफाई, फूड डिलीवरी व अन्य छोटे-मोटे काम करते थे। दिल्ली से यूपीआई ऐप से बॉर्डर एजेंटों को रुपये भेजकर हवाला के तरीके से रुपये बांग्लादेश निवासी अपने परिजनों तक पहुंचाते थे।
दक्षिण जिले के डीसीपी अंकित चौहान ने आज यहां पत्रकार वार्ता में बताया कि आरोपित पकड़े गये आरोपितों में से भोगल, निजामुद्दीन निवासी मोहम्मद जेवेल इस्लाम व उसका बड़ा भाई मोहम्मद आलमगीर बांग्लादेश से दिल्ली आने के बाद यहां कबाड़ का काम करता था। इस दौरान उसने एक भारतीय महिला से शादी कर ली और उसके दो बच्चे भी हैं। दोनों बच्चे दिल्ली के स्कूलों में पढ़ाई कर रहे हैं।
इसके अलावा तीन आरोपित कोटला मुबारकपुर में रहने वाले लतीफ खान, मोहम्मद मिजानुर रहमान व रबिउल हैं। लतीफ कूड़ा बीनने का काम करता है। मिजानुर कबाड़ व्यापारी है और रबिउल अस्पताल में मामूली काम करता है। इनका परिवार बांग्लादेश में ही रहता है। लतीफ का भाई नदीम शेख साफ-सफाई व झाड़ू-पोंछा का काम करता था।
साल 2000 में दिल्ली आये भलस्वा डेयरी के जेजे कॉलोनी निवासी मोहम्द रिजाउल ने यहां आने के बाद भारतीय महिला से शादी कर ली। कमाई के लिए कैब चालक का काम शुरू किया। उसने किसी तरह से एक भारतीय पासपोर्ट बनवाया और उसके बाद लगातार दिल्ली से बांग्लादेश आने जाने लगा। वह इसी बहाने से दिल्ली से रुपये लेकर बांग्लादेश में रह रहे अन्य आरोपितों के परिवारों तक पहुंचाता था। पिछले दो सालों में वह करीब 22 बार भारत से नेपाल व नेपाल से भारत की यात्रा कर चुका है।
इसी क्रम में आरोपित कमरुज्जमान साल 2014 में दिल्ली आया और जोमैटो डिलीवरी ब्वॉय का काम करने लगा। गिरोह का सरगना बस्ती निजामुद्दीन निवासी मोहम्मद मोईनुद्दीन दिल्ली के अमीर खुसरो नगर में कंप्यूटर की दुकान चलाता था। यहां वह बांग्लादेशियों का फर्जी आधार कार्ड, पैन कार्ड, जन्म प्रणाण पत्र व अन्य फर्जी भारतीय कागजात बनाता था। इस पूरे रैकेट को आरोपित पुलपह्लादपुर निवासी जुल्फिकार अंसारी, उप्र के बुलंदशहर निवासी जावेद व फरमान खान आदि के साथ मिलकर संचालित कर रहा था।
साभार – हिस
