तुनि।श्री विश्व विज्ञान विद्या आध्यात्मिक पीठम के नौंवें पीठाधिपति डॉ. उमर अली शाह ने कहा कि धर्म आत्मा को परमात्मा से जोड़ता है।
सोमवार को 28वें वार्षिक सर्वधर्म सम्मेलन सभा की अध्यक्षता करते हुए श्री विश्व विज्ञान विद्या आध्यात्मिक पीठम, तुनी आश्रम के पीठाधिपति डॉ. उमर अली शाह ने उक्त उद्गार व्यक्त किया। डॉ. उमर अली शाह , सिकंदराबाद योगालय के प्रशासक डॉ. वासिली वसंत कुमार, हिंदू प्रतिनिधि श्री स्वामी विजयानंद, विजयनगरम चिन्मय मिशन के प्रमुख, इस्लामी प्रतिनिधि विजयवाड़ा सूफी शेख अहमद जानी, ईसाई प्रतिनिधि हंसवरम, रेवरेंड. एस. बाला सौरी, बौद्ध प्रतिनिधि पूज्य भोटे आंध्र अनल्यो और सिख प्रतिनिधि श्री गुरु चरण सिंह खालसा सहित विभिन्न धर्मों के प्रतिनिधियों ने ज्योति प्रज्वलित कर
सर्वधर्म सम्मेलन का शुभारंभ किया। श्री विश्व विज्ञान विद्या आध्यात्मिक पीठम के पीठाधिपति डॉ. उमर अली शाह ने अपने संबोधन में कहा कि समाज में शांति, सद्भाव और मानवीय मूल्यों को बढ़ावा देने के लिए सर्वधर्म सम्मेलन सभाएं आयोजित की जाएंगी। डॉ. उमर अली शाह ने कहा कि माता-पिता प्रेम की प्रतिमूर्ति हैं और उनके द्वारा दिया गया मानव जन्म अमूल्य है। आध्यात्मिक सिद्धांतों से हमें अवगत कराने वाले सद्गुरु की शरण में आकर हम ज्ञान के स्वरूप का रहस्य समझ सकेंगे, प्रकृति रूपी दर्शन क्या है और ईश्वर के दर्शन के मर्म का विश्लेषण कर सकेंगे तथा अनुभव से समझ सकेंगे कि मानवता ही धर्म है। पीठ के पीठाधीश्वर ब्रह्मर्षि काहेन शाह वली सद्गुरु द्वारा रचित कल्कि भागवत कीर्तन को सुनकर हम साधना के मार्ग को समझ सकते हैं। डॉ. उमर अली शाह ने कहा कि यदि हम गंभीर संकटों से उभरना चाहते हैं, यदि हम सहज रहना चाहते हैं और यदि हम चाहते हैं कि हमारे साथी मनुष्य सहज रहें, तो आर्ष सूफी धर्म सिखाता है कि हमारे भीतर का ईश्वर और दूसरों के भीतर का ईश्वर एक ही है।
इस अवसर पर योगालय के संचालक डॉक्टर वासिली वसंत कुमार ने कहा कि 200 वर्ष पूर्व पीठ के चतुर्थ पीठाधपति सदस्यों के इच्छा अनुसार उच्चतम अध्यात्मिक दर्शन की शिक्षा दी थी ।उनकी कृति कल्की भगवतम की विशेषता यह है कि उन्होंने इस उत्कृष्ट दारू कीर्तन की साहित्यिक शैली में लिखा था।
चिन्मय मिशन विजयनगरम के स्वामी विद्यानंद ने कहा कि सर्वे भवंति सुखिन: अर्थात मन और इंद्रियों को नियंत्रित करने से गलत विचारों को रोका जा सकता है और आंतरिक आत्मा को शुद्ध किया जा सकता है।
ईसाई धार्मिक प्रतिनिधि रेवरेंड बाला शौरी ने कहा कि ईसाई धर्म में प्रेम का हर स्वरूप छुपा है। मनुष्यों को एक दूसरे से प्रेम करना चाहिए हमें एक दूसरे की मदद करना चाहिए।
इस्लाम धर्म के प्रतिनिधि सूफी शेख अहमद जानी ने कहा कि भगवान के मार्ग अनेक हैं परंतु भगवान एक है। उन्होंने कहा कि यदि सभी लोग यह समझें कि सभी प्रार्थनाएं सार्वभौमिक धर्म की प्रार्थनाएं हैं तो सार्वभौमिक शांति संभव हो पाएगी ।
बौद्ध धर्म के प्रतिनिधि प्रिया आंध्र एनालियों ने कहा कि पाप मत करो केवल अच्छे काम करके आप अपने मन को शुद्ध रख सकते हैं। अर्थात भक्ति, दान, नैतिक आचरण और सद्भावना का अभ्यास करके आप अपने जुनून और नफरत को नियंत्रित कर सकते हैं। सिख धर्म के प्रतिनिधि श्री गुरु चरण सिंह खालसा ने गुरु नानक के दर्शन को समझाया और कहा कि परमात्मा तक पहुंचना केवल गुरु के माध्यम से ही संभव है
इस अवसर पर सभी धर्मों के प्रतिनिधियों ने देश की अखंडता और सार्वभौमिक मानव शांति के लिए श्री विश्व विज्ञान विद्या आध्यात्मिक पीठम के नौंवें पीठाधिपति डॉ. उमर अली शाह के साथ मिलकर काम करने की शपथ ली।
कार्यक्रम की शुरुआत सार्वभौमिक प्रार्थना से हुई और समापन आरती के साथ हुआ। नोबल आईटीआई संवाददाता श्री जी सत्यनारायण ने स्वागत भाषण दिया।उमर अली शाह ग्रामीण विकास ट्रस्ट के माध्यम से पीठाधिपति डॉ. उमर अली शाह ने पक्षी चारा के लिए धान के गुच्छे, जरूरतमंद महिला को सिलाई मशीन और छात्रों को नोटबुक प्रदान किया। 45 नए सदस्यों ने पीठ के पीठाधिपति डॉ. उमर अली शाह से महामंत्रोपदेश प्राप्त किया और सदस्य बने। सर्वधर्म सम्मेलन सभा में हजारों सदस्य शामिल हुए। लगभग 900 स्वयंसेवकों ने 45 विभागों के माध्यम से सेवाएं प्रदान कीं।
कार्यक्रम में पीठम केंद्रीय समिति के सदस्य श्री एनटीवी प्रसाद वर्मा, डॉ पिंगली आनंद कुमार, संयोजक श्री पेरूरी सुरीबाबू, तुनि समिति के श्री जी. रमना, श्री एबी रेड्डी अप्पन्ना रेड्डी, श्री जम्पना केशवराजू, श्री जीवीवी सत्यनारायण, श्री गोर्ला आदिनारायण, श्री चौ. सत्यनारायण, के. वेंकट अप्पाराव और अन्य ने भाग लिया।