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आरएसएस सरसंघचालक पूज्य डॉ. मोहन भागवत ने नाहरलगुन, अरुणाचल प्रदेश में डोनी पोलो न्येदार नमलो का किया दौरा
ईटानगर, अरुणाचल प्रदेश – राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक पूज्य डॉ. मोहन भागवत ने आज अरुणाचल प्रदेश के नाहरलगुन स्थित डोनी पोलो न्येदार नमलो का दौरा किया। यह प्राचीन धार्मिक स्थल न्यीशी जनजाति के लिए विशेष आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व रखता है। सूर्य (डोनी) और चंद्र (पोलो) की उपासना के लिए समर्पित इस केंद्र को क्षेत्र के मूल निवासियों की परंपराओं और धार्मिक आस्था का प्रतीक माना जाता है।
डॉ. भागवत का स्वागत पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ किया गया। नमलो समिति के सदस्यों और बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने उनके आगमन पर हर्ष व्यक्त किया। इस अवसर पर डॉ. भागवत ने प्रार्थना सभा में भाग लिया और धार्मिक अनुष्ठानों में सम्मिलित होकर श्रद्धा प्रकट की। उनके इस दौरे को आदिवासी समुदाय की सांस्कृतिक धरोहर के प्रति सम्मान और समर्थन के रूप में देखा जा रहा है।
डोनी पोलो न्येदार नमलो का महत्व
डोनी पोलो न्येदार नमलो न्यीशी जनजाति का प्रमुख आध्यात्मिक केंद्र है, जहां हर रविवार को विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। यह स्थान सूर्य और चंद्र को जीवन, प्रकृति और ब्रह्मांड की शक्ति का प्रतीक मानते हुए उनकी आराधना के लिए समर्पित है। यहां परंपरागत रीति-रिवाजों का पालन करते हुए पूजा की जाती है, जिसमें समाज के सभी वर्गों के लोग भाग लेते हैं।
संस्कृति और परंपराओं के संरक्षण पर जोर
अपने दौरे के दौरान डॉ. भागवत ने नमलो के पुजारियों और श्रद्धालुओं से संवाद किया। उन्होंने न्यीशी समुदाय द्वारा अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराओं को सहेजने के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने कहा कि भारत की सांस्कृतिक विविधता इसकी सबसे बड़ी ताकत है, और हमें अपनी आध्यात्मिक विरासत को संजोकर रखना चाहिए।
उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि आधुनिकता और पारंपरिक मूल्यों के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि डोनी पोलो न्येदार नमलो जैसे धार्मिक केंद्र न केवल आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ाते हैं, बल्कि समाज में सद्भाव और एकता को भी मजबूत करते हैं।
चार दिवसीय अरुणाचल दौरे का समापन
डॉ. भागवत का यह दौरा चार दिनों तक चला, जिसके दौरान उन्होंने आरएसएस के विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लिया। इस यात्रा का प्रमुख आकर्षण दो दिवसीय आरएसएस कार्यकर्ता शिविर रहा, जिसमें अरुणाचल प्रदेश के विभिन्न हिस्सों से आए स्वयंसेवकों ने भाग लिया। शिविर में राष्ट्रवाद, समाज सेवा और सांस्कृतिक जागरूकता से जुड़े विषयों पर विचार-विमर्श हुआ।
आज नाहरलगुन स्थित डोनी पोलो न्येदार नमलो के दर्शन के साथ उनकी यात्रा का समापन हुआ। डॉ. मोहन भागवत इस शाम गुवाहाटी के लिए प्रस्थान करेंगे, जहां वे संघ से जुड़े अन्य कार्यक्रमों में भाग लेंगे।
डॉ. भागवत के इस दौरे को आदिवासी समुदायों और भारतीय संस्कृति के प्रति संघ के समर्थन के रूप में देखा जा रहा है। उनके इस प्रेरणादायक दौरे ने न केवल स्थानीय श्रद्धालुओं को उत्साहित किया, बल्कि भारतीय संस्कृति की जड़ों को मजबूत करने के प्रति एक महत्वपूर्ण संदेश भी दिया।