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आईसीजी के दो दिवसीय राष्ट्रीय समुद्री खोज और बचाव अभ्यास का समापन
नई दिल्ली। कोच्चि तट पर भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) के 11वें दो दिवसीय राष्ट्रीय समुद्री खोज और बचाव अभ्यास का शुक्रवार को समापन हो गया। इस कार्यक्रम में राष्ट्रीय समुद्री खोज और बचाव बोर्ड के सदस्यों और मित्र देशों का प्रतिनिधित्व करने वाले 38 विदेशी पर्यवेक्षकों ने भी भाग लिया। आज हुए समुद्री अभ्यास में एक यात्री विमान दुर्घटना की आकस्मिक स्थितियों में बचाव एवं राहत कार्यों का प्रदर्शन किया गया।
इस अभ्यास का उद्घाटन रक्षा सचिव राजेश कुमार सिंह ने गुरुवार को किया था। कार्यक्रम की समीक्षा भारतीय तटरक्षक बल के महानिदेशक एस. परमेश ने की। ‘क्षेत्रीय सहयोग के माध्यम से खोज और बचाव क्षमताओं को बढ़ाना’ विषय पर चर्चाओं के दौरान समुद्री सुरक्षा को मजबूत करने में अंतरराष्ट्रीय सहयोग के महत्व पर प्रकाश डाला गया। दो दिवसीय कार्यक्रम में कई तरह की गतिविधियां शामिल थीं, जिसमें टेबल-टॉप अभ्यास और विदेशी पर्यवेक्षकों की उपस्थिति ने इन चर्चाओं को समृद्ध करके क्षेत्रीय सहयोग की भावना को बढ़ावा दिया। इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण आज हुआ समुद्री अभ्यास था, जिसमें एक यात्री विमान दुर्घटना से जुड़ी आकस्मिक स्थिति के दौरान बचाव एवं राहत कार्यों का प्रदर्शन किया गया।
इस परिदृश्य में 250 यात्रियों को ले जा रहे एक विमान को गंभीर तकनीकी खराबी का सामना करना पड़ा, जिससे उसका एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) से संपर्क टूट गया और वह कोच्चि से लगभग 150 समुद्री मील उत्तर-पश्चिम में राडार से गायब हो गया। इसके बाद तेजी के साथ समन्वित सामूहिक बचाव अभियान (एमआरओ) शुरू किया गया, जिसमें भारतीय तटरक्षक बल, भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के जहाज और विमान, कोचीन बंदरगाह प्राधिकरण के टग, कोच्चि जल मेट्रो से 03 जल मेट्रो और 01 गरुड़ बचाव और आपातकालीन शिल्प और केरल राज्य प्रशासन की जल एम्बुलेंस ने हिस्सा लिया।
ऑपरेशन के दौरान वायु सेना के विमानों और आईसीजी के जहाजों ने जीवन रक्षक राफ्ट गिराने, एडवांस्ड लाइट हेलीकॉप्टर (एएलएच) का उपयोग करके यात्रियों को निकालने, जेसन क्रैडल तकनीक का उपयोग करके चालक दल के बचाव अभियान और जीवन रक्षक उपकरणों को पहुंचाने के लिए ड्रोन की तैनाती का प्रदर्शन किया गया। इस अभियान में भाग लेने वाली एजेंसियों ने उच्च स्तर के समन्वय और तैयारियों को रेखांकित किया। इस अभ्यास ने आपसी समझ बढ़ाने, सहयोग को बढ़ावा देने और बड़े पैमाने पर समुद्री आकस्मिकताओं के प्रबंधन के लिए प्रभावी रणनीतियों का आदान-प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच के रूप में कार्य किया।
साभार – हिस