नई दिल्ली। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत ने हरियाणा के पानीपत में अस्पताल द्वारा एक मरीज के गलत घुटने का ऑपरेशन करने की रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया है। आयोग ने हरियाणा के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर मामले में रिपोर्ट मांगी है।
आयोग ने कहा कि अमानवीय तरीके से मरीजों का शोषण करने वाले अस्पतालों पर नियंत्रण रखने में विफल रहने के कारण लापरवाह अधिकारी अपनी जिम्मेदारी से बच नहीं सकते। रिपोर्ट में दोषियों के खिलाफ की गई कार्रवाई और मरीज को दिया गया मुआवजा, यदि कोई हो, शामिल होना चाहिए।
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (एनएचआरसी), भारत ने एक मीडिया रिपोर्ट पर स्वत: संज्ञान लिया है कि हरियाणा के पानीपत में एक अस्पताल द्वारा एक मरीज के चोटिल दाहिने घुटने का ऑपरेशन करने के बजाय उसके बाएं घुटने का गलत ऑपरेशन कर दिया गया था। बताया जा रहा है कि जब मरीज के परिजनों ने विरोध किया तो डॉक्टरों ने तुरंत दूसरे घुटने की भी सर्जरी कर दी, लेकिन मरीज चलने में असमर्थ है। अस्पताल ने उनसे 8,000 रुपये का शुल्क लिया और उनका आयुष्मान कार्ड भी छीन लिया।
आयोग ने पाया है कि समाचार रिपोर्ट की सामग्री, यदि सही है, तो यह चिकित्सा लापरवाही के गंभीर मुद्दों को उठाती है, जिससे पीड़ित के जीवन और स्वास्थ्य के अधिकारों का उल्लंघन हुआ है। आयोग ने हरियाणा के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को नोटिस जारी कर एक सप्ताह के भीतर मामले में विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। रिपोर्ट में दोषियों के खिलाफ की गई कार्रवाई और मरीज को दिया गया मुआवजा, यदि कोई हो, शामिल किया जाना चाहिए।
नोटिस जारी करते हुए आयोग ने पाया कि मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, आयुष्मान – भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) का लाभार्थी होने के बावजूद मरीज से अस्पताल द्वारा शुल्क लिया गया था। इसलिए, जो अधिकारी ऐसे निजी अस्पतालों के निरीक्षण करने और निगरानी रखने के अपने कर्तव्य को निभाने में विफल रहे हैं, वे अपने दायित्व से बच नहीं सकते हैं, जहां मरीजों का शोषण किया जा रहा है और क्रूरता के साथ-साथ अमानवीय तरीके से उनका इलाज किया जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, पीड़ित ने साल 2006 में एक हादसे में अपने परिवार को खो दिया था और तब से वह मजदूरी करके अपनी आजीविका चला रहा है। अपने घर की सफ़ाई करते समय गिरने से उसके दाहिने घुटने में चोट लगी थी।
साभार – हिस