अयोध्या। देश की बहुभाषी न्यूज एजेंसी हिन्दुस्थान समाचार के तत्वावधान में श्रीराम सत्संग भवन (श्री मणिराम दास छावनी) में आयोजित तीन दिवसीय अयोध्या उत्सव के प्रथम दिन शनिवार को द्वितीय सत्र के मुख्य वक्ता हनुमत निवास अयोध्या के महंत आचार्य मिथिलेश नंदिनी शरण ने कहा कि भारतीय अवधारणा में मनुष्यता का जन्म अयोध्या से हुआ है। उसके पहले जो है वह मानव नहीं, मनु की संतानें हैं। जिसे जन्म दिया गया है, उसको उसके स्वरूप रक्षा के योग्य बनाना भी अपेक्षित है। इसे अयोध्या ने दुनिया को पहली बार सिखाया और त्रेता में यह प्रमाणित किया कि मर्यादा पुरुषोत्तमिता एक दिन में नहीं आती। मर्यादा पुरुषोत्तम होना कोई आकस्मिक होने वाली घटना नहीं है। हजार पीढ़ियों की परंपरा, असंख्य पीढ़ियों का तप, परंपरा से संरक्षित प्रजनन, पवित्र आनुवंशी, माता और पिता के संरक्षित कल और चरित्र जब अनेक पीढ़ियों तक अपनी पवित्रता का मन बनाए रखते हैं तब यह मानव जाति किसी एक मर्यादा पुरुषोत्तम को व्यक्त करती है। श्रीराम ईश्वरत्व की मानवीय निरुप्ति हैं। यह ईश्वर का अवतार है जिसने मनुष्यता को धन्य करने के लिए उसका आवरण पकड़ा है।
साभार -हिस
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